दमोह में दो दिन से झाड़ियों में फंसा यूरेशियन ईगल
दमोह जिले के पटेरा तहसील अंतर्गत ग्राम भरतला में झाड़ियों में दो दिन से फंसे एक उल्लू को ग्रामीणों ने देखा है। बताया गया कि यह उल्लू के सबसे बड़ी प्रजाति यूरेशियन ईगल प्रजाति का उल्लू है। ग्रामीणों ने इसे झाड़ियों में ही संरक्षित किया है। पहले तो उसे काफी उड़ाने के प्रयास किए जा रहे थे लेकिन उसके नहीं उड़ने के चलते उसे पकड़ लिया और इसकी सूचना तत्काल ही वन विभाग के अधिकारियों को दी गई।इस संबंध में ग्राम भरतला निवासी कृष्णा तिवारी ने बताया कि सुबह से ही यह उल्लू झाड़ियों में दिखाई दे रहा था जिसकी जानकारी लेने पर बताया गया कि यह यूरेशियन ईगल प्रजाति का उल्लू है। ग्रामीणों ने इसे अभी सुरक्षित तरीके से रख लिया है और उसे आज खुला छोड़ कर उड़ाने के प्रयास किए जाएंगे। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के कुछ बच्चों द्वारा उसे नुकसान पहुंचाने की काफी कोशिश की जा रही थी लेकिन उसे सुरक्षित बचा लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वन विभाग की टीम आज आएगी तो उन्हें इस उल्लू को सौंप दिया जाएगा।
पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि यूरेशियन ईगल, उल्लू की एक प्रजाति है जो यूरेशिया के जंगलों में अधिकांश दिखाई देती है। इसे चील उल्लू और बुहू भी कहा जाता है। इसकी नारंगी आंखें, विचित्र पंख और ढके हुए कान होते हैं। यूरेशियन उल्लू यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में पाए जाते हैं। भारत में यह उल्लू रात में सक्रिय रहता है। बताया जाता है कि वर्ष 1900 के बाद से इस प्रकार की इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है।वर्तमान में तो भारत में भी देशी रूप से पाए जाने वाले उल्लूओं की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है।