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आइआइटी इंदौर में देश का पहला हाई इलेक्ट्रान मोबिलिटी ट्रांजिस्टर तैयार

गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर में तैयार हुआ देश का पहला हाई इलेक्ट्रान मोबिलिटी ट्रांजिस्टर (एचईएमटी) जल्द बाजार में उपलब्ध होगा। आइआइटी इंदौर का यह पहला कमर्शियल पेटेंट है। इसके उत्पादन से लेकर बाजार में उपलब्ध होने तक संस्थान का ध्यान रहेगा। आइआइटी इंदौर ने इसे कमर्शियल रूप देने के लिए आइआइटी दिल्ली जैसे अनुभवी संस्थान का साथ लिया है। इसके लिए दोनों संस्थानों के बीच समझौता हुआ है।

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अब भारत सरकार का डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (डीएसटी) बड़े पैमाने पर ट्रांजिस्टर बनाने वाली कंपनियों की तलाश कर रहा है। विशेष बात यह है कि अब तक चीन और अन्य देशों से मंगाए जाने वाले हाई इलेक्ट्रान मोबिलिटी ट्रांजिस्टर गैलियन नाइट्राइट से बनाए जाते हैं। इससे उनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। आइआइटी इंदौर में तैयार हुआ ट्रांजिस्टर जिंक आक्साइड से तैयार किया गया है। इसकी कीमत बाहर से मंगाए जाने वाले ट्रांजिस्टर से पांच गुना कम रहेगी।

इसे तैयार करने वाले आइआइटी इंदौर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. शैबल मुखर्जी ने बताया कि दुनिया में लंबे समय तक इस बात पर चर्चा होती रही है कि क्या जिंक आक्साइड से हाई इलेक्ट्रान मोबिलिटी ट्रांजिस्टर बनाए जा सकते हैं? आइआइटी दिल्ली शोध को कमर्शियल करने के लिए काम करता रहा है। अब हम वहां के प्राध्यापकों से जान रहे हैं कि किस तरह किसी उत्पाद को बाजार तक लाया जाता है। इसकी समझ विकसित होने से आइआइटी इंदौर उत्पाद के वाणिज्यिक उत्पादन की बारीकियों से परिचित हो जाएगा और भविष्य में आइआइटी इंदौर में होने वाले शोध से तैयार होने वाले उत्पादों को बाजार में लाया जा सकेगा। बड़े पैमाने पर ट्रांजिस्टर बनाने वाली कंपनियों की तलाश अप्रैल तक पूर्ण हो सकती है।

इन जगहों पर होता है ट्रांजिस्टर का उपयोग

हाई इलेक्ट्रान मोबिलिटी ट्रांजिस्टर का उपयोग उन उपकरणों में होता है जहां बहुत तेजी से किसी तकनीकी प्रक्रिया को पूर्ण करना होता है, जैसे- सिग्नल को कम समय में दूसरी जगह पर भेजना। इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, स्पेस टेक्नोलाजी, सैटेलाइट, सुपर कंप्यूटर, कार्डलेस फोन, वायरलेस सेट और कई उपकरणों में किया जा सकेगा। ट्रांजिस्टर का उत्पादन शुरू हो जाने से इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाले कन्वर्टर बाहर से नहीं मंगाने पड़ेंगे। भारत में ये बनाए जाएंगे जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत भी कम हो सकेगी।

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