न्याय की देवी मां अहिल्या की नगरी महेश्वर में बच्चों के साथ अन्याय
महेश्वर। न्याय के लिए विख्यात मां अहिल्या की नगरी महेश्वर में बाल भिक्षावृत्ति निषेध क़ानून का उल्लंघन हो रहा है। पढ़ने और खेलने-कूदने की उम्र में कई नाबालिग पेट की आग बुझाने के लिए हाथ फैलाते देखे जा सकते हैं। जिन सरकारी विभागों का काम इसे रोकना है उनकी उपस्थिति दूर-दूर तक नजर नहीं आती। बाहर से आए सैलानियों के सामने यह दृश्य नगर की छवि को भी प्रभावित कर रहा है। महेश्वर के मुख्य बाजार, हाट बाजार और घाट सहित दर्शनीय स्थलों पर नाबालिग बच्चों को लोगों के सामने हाथ फैलाते देखा जा सकता है। हाट बाजार में अच्छी खासी भीड़ जुटती है, ऐसे में इन लाचार बच्चों को खाने के सामान के अलावा थोड़े बहुत पैसे भी मिल जाते हैं। हाट के दिन को छोड़ कर शेष दिनों में बाजार, नर्मदा घाट, मंदिरों और दर्शनीय स्थलों पर इन्हें देखा जा सकता है। हाल ही में सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की धार्मिक और पर्यटन शहरों में बच्चों की भिक्षावृत्ति पर रोक लगाई जाएगी। इसके लिए सतर्कता दल गठित किए जाएंगे।
मिल जाता है एक वक्त का भोजन
मंदिरों और घाट पर बड़ी संख्या में भिक्षुक देखे जा सकते हैं। इनमें ज्यादातर अधिक आयु के महिला-पुरुष हैं। इन्हें मंदिरों के बाहर कम से कम एक वक्त का खाना तो मिल ही जाता है। साथ ही कुछ पैसे भी मिल जाते हैं। इसी तरह घाट और दर्शनीय स्थलों पर लोग पीछा छुडाने के लिए इन्हें कुछ न कुछ दे ही देते हैं।
10 से 12 बच्चे भिक्षावृत्ति में संलग्न
अनुमान के अनुसार नगर में कम से कम 10 से 12 नाबालिग तो इस काम में संलग्न हैं ही, क्योंकि ये लगातार नगर में कहीं न कहीं नजर आ ही जाते हैं। वैसे इनकी सही संख्या पता कर पाना आसान नहीं है क्योंकि भिक्षावृत्ति के लिए ये आसपास के गांवों में भी जाते रहते हैं। बड़े शहरों में तो अभियान चलाकर इन्हें रोका जाता है, लेकिन महेश्वर में कभी किसी सरकारी मुलाजिम ने रोक-टोक नहीं की।
पूछताछ करने पर कर लिए मुंह बंद
इस प्रतिनिधि ने बुधवार को नगर में दो बच्चों के भिक्षावृत्ति करते देखा और उनसे बात करने की कोशिश की। 6 और 4 वर्ष के इन फटेहाल बच्चों ने अपना नाम बताने से इनकार कर दिया लेकिन इतना जरूर बताया कि उन्हें यह काम मजबूरी में करना पड़ रहा है। पिता छोड़कर जा चुका है, मां बीमार रहती है। मां और अपना पेट भरने की जिम्मेदारी दोनों पर ही है। दिन भर में भिक्षावृत्ति के बाद किसी तरह तीनों पेट की आग बुझा पाते हैं। रहते कहा हो यह सवाल पूछने पर उन्होंने बताया कि नर्मदा किनारे कहीं भी रात बिता लेते हैं। दोनों ने यह भी बताया कि उन्हें कभी किसी ने भिक्षावृत्ति करने से नहीं रोका।
कोई अभियान नहीं चला
उल्लेखनीय है कि भिक्षावृत्ति करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसके विरुद्ध क़ानून तक है। बाल भिक्षावृत्ति करवाने वालों के लिए दंड का भी प्रावधान है। कुछ समय पहले शासन की ओर से कहा गया था कि भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए सतर्कता दल गठित किए जाएंगे लेकिन ऐसे किसी दल का अस्तित्व यहां नजर नहीं आता। जिम्मेदार सरकारी महकमा महिला और बाल विकास विभाग ने भी कभी यहां भिक्षावृत्ति के लिए अभियान नहीं चलाया है। हालांकि विभाग का कहना है कि बच्चों और उनके अभिभावकों को समझाते हैं।
समझाइश देते हैं
गांवों का लगातार दौरा किया जाता है। बाल संरक्षण टीम, खरगोन के साथ मिलकर भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों के अभिभावकों को समझाइश भी दी जाती है।- तारावती वर्मा, महिला बाल विकास अधिकारी