पन्ना में चार की जगह दो माह का राशन वितरण करने का आरोप
शासन द्वारा गरीब परिवारों को माह जनवरी 4 माह का खाद्यान्न वितरण के आदेश दिए गए थे परंतु नगर मैं कुछ दुकानों को छोड़कर अधिकांश राशन दुकानों मैं गरीबी रेखा, अति गरीबी रेखा की हितग्राहियों को 4 माह का खाद्यान्न वितरण किया। परंतु कुछ दुकान मैं माह जनवरी में 2 माह का खाद्यान्न वितरण किया गया है।
वह दुकानें महीने में 2 दिन खुलती है जिसको खाद्यान्न मिला तो ठीक ना मिला तो अगले माह मिलने की गारंटी नहीं है। ऐसी दुकान संचालकों को विभाग द्वारा संरक्षण प्राप्त होने के कारण उन्हें जिले की और भी कई दुकानों का संचालन करने के आदेश दिए गए हैं और वह दुकानें चला रहे हैं। जबकि मुख्यालय मैं दुकानदारों को अपने खाद्य अधिकारी का भय नहीं है और वह आदेश की धज्जिायां उड़ा रहे हैं। दुकान संचालक 4 माह की जगह 2 माह का राशन वितरण कर रहे हैं। जब नगर की दुकानों के यह हाल है तो ग्राम पंचायतों की राशन दुकानों में क्या हाल होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। ऐसा क्यों होता है किस लिए होता है गरीबों के अनाज पर दुकान संचालक और खाद्य अधिकारी की नजर जबकि आदेश के अनुसार अधिकांश दुकानों के संचालकों ने हितग्राहियों को 4 माह का राशन वितरण किया है। इससे स्पष्ट होता है कि गरीब के राशन पर विभाग के अधिकारी और संचालक की मिलीभगत से हो रही है धांधली।
जिला मुख्यालय की दुकानों पर अलग-अलग वितरण हो रहा है तो ग्रामीण अंचलों की दुकानों में तो गरीब हितग्राहियों को कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ रही होगी यह वही जानते हैं। ज्ञात हो कि पन्ना कलेक्टर को कई बार ग्रामीण अंचल के हितग्राहियों ने लिखित शिकायतें भी दी गई हैं परंतु खाद्य अधिकारी की निरंकुशता के कारण ठगे जा रहे गरीब हितग्राही। सरकार द्वारा गरीबों के हित में कार्य किया जा रहा है परंतु शासकीय कर्मचारी ही शासन की योजनाओं में लगा रहे पलीता गरीबों के अनाज पर शासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से दुकान संचालकों द्वारा गरीब हितग्राहियों को नहीं मिल रहा है।