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बैरसिया गोशाला कांड : तीन दिन की जांच में नहीं मिले पशु क्रूरता के प्रमाण

बैरसिया के बसई गांव में बीते दिनों हुई गायों की मौत के मामले में तीन दिन से जांच का सिलसिला चल रहा है। तीन दिन की जांच में अधिकारियों को पशु क्रूरता के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि जांच में अव्यवस्था, कुप्रबंधन और मृत गौवंश को दफनाने के तरीकों में लापरवाही जरूर मिली है। इसके चलते इन धाराओं के तहत पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।इधर, कलेक्टर अविनाश लवानिया ने इस पूरे मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी करते हुए जांच के बिंदु भी बदल दिए है। अब नए बिंदुओं पर जांच शुरू की जाएगी। बैरसिया एसडीएम आदित्य जैन ने बताया कि इस पूरे मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आज कलेक्टर को सौंपी जाएगी। जांच रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है कि गायों की मौत होने का मुख्य कारण क्या रहा और गोशाला संचालिका ने क्या लापरवाही बरती थी। वहीं गो-संवर्धन बोर्ड ने भी इस मामले की जांच अलग से पशुपालन विभाग के अधिकारियों को भेजकर कराई है। इसमें सामने आया कि गोवंश की क्षमता से अधिक निराश्रित गाय यहां पर रखी गई थी। इनकी देखरेख में कुप्रबंधन होने के कारण यह स्थिति बनी है।

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24 घंटे में गोशाला संचालिका की गिरफ्तारी नहीं हुई तो चार को करेंगे बैरसिया बंदइस मामले को लेकर सामाजिक संगठनों के लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर 24 घंटे के अंदर गोशाला संचालिका निर्मला देवी शांडिल्य को गिरफ्तार कर कार्रवाई नहीं की गई तो चार फरवरी को बैरसिया बंद किया जाएगा। इस संबंध में सामाजिक संगठनों ने चेतावनी देते हुए बैरसिया एसडीएम आदित्य जैन को ज्ञापन भी सौंपा है। संगठनों का कहना है कि गोशाला संचालिका के खिलाफ न तो पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। न ही अब तक कोई उचित कार्रवाई की गई।

गायों के शिफ्ट होने के बाद हटाया जाएगा अतिक्रमणबता दें कि बसई गांव में विगत दिनों 87 गायों के शव मिले थे। इसमें से 42 कंकाल थे। नौ गाय के शवों का पोस्टमार्टम करवाया गया। इसमें से चार गाय को निमोनिक होने, तीन गायों की ज्यादा ठंड से और दो की पेट संबंधी बीमारी के चलते मौत होने का कारण्ा सामने आया। यह बात एसडीएम बैरसिया द्वारा की जा रही जांच में आई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में इस गोशाला में 370 गाय हैं, जो स्वस्थ अवस्था में हैं। जिन्हें अन्य गोशाला में शिफ्ट किया जा रहा है। इनके शिफ्ट होते ही गोशाला का अतिक्रमण हटा दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि ठंड में भूख और प्यास के कारण कुछ गायों की मौत हुई है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से पूरे मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।

गोशाला खोलने के लिए यह होने चाहिए इंतजामजीवदया गौरक्षण एवं पर्यावरण संवर्धन केंद्र के संचालक अशोक जैन के अनुसार गोशाला संचालन के लिए निम्‍न इंतजाम लाजिमी हैं।- गौशाला खोलने के लिए जगह का चयन ऐसा होना चाहिए जहां आसपास जंगल हो।- जमीन पथरीली होनी चाहिए और गौशाला में शेड की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

– बिजली और पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं गौ-वंश के खाने और ठंड से बचाव के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए।- गौशाला को सूखी और उचित तरीके से तैयार जमीन पर बनाया जाए, ताकि अगर बारिश हो, तो वहां पानी जमा न हो।- शेड की दीवारें लगभग 5 से 2 मीटर ऊंची होनी चाहिए। दीवारों को नमी से सुरक्षित रखने के लिए उनपर अच्छी तरह पलस्तर कराएं।- शेड की छत लगभग 3 से 4 मीटर ऊंची होनी चाहिए। शेड को पर्याप्त रूप से हवादार होना चाहिए।

– फर्श को पक्का, समतल और ढालुआ बनाना चाहिए। साथ ही जल-निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।- पशुओं के खड़े होने के स्थान के पीछे 25 मीटर चौड़ी पक्की नाली बनवाना जरूरी है।- हर पशु के खड़े होने के लिए तीन मीटर की जगह होना चाहिए।- नांद के लिए लगभग 05 मीटर की जगह होनी चाहिए। इसकी ऊंचाई लगभग 0.5 मीटर और गहराई 0.25 मीटर होनी चाहिए।

यह लापरवाही पशु क्रूरता अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में रखी गयी हैं और इन्हें अपराध बनाया गया है और इस अपराध के लिए यदि प्रथम बार यह अपराध किया जाता है तो कम से कम 25000 रुपये का जुर्माना है और जो 100000 रुपये तक का हो सकता है। दूसरी बार फिर या अपराध किया जाता है तो इसमें तीन महीने तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।- किसी पशु को पीटना, ठोकर मारना, बहुत ज्यादा सवारी लगाना, बहुत अधिक बोझ लाद देना उसे यातना देना या फिर उसके साथ में कोई भी ऐसा व्यवहार करना जिससे उसे अनावश्यक पीड़ा हो।

– कोई पशु अपनी उम्र, कोई अंग के शिथिल हो जाने, कोई घाव, किसी फोड़े के कारण कोई कार्य कर पाने में असमर्थ है, उस पशु को फिर भी उस कार्य में लगाया जाए।- किसी भी पशु को कोई भी नुकसान पहुंचाने वाली दवाई या फिर क्षति कारक पदार्थ जानबूझकर देगा या खिलाएगा या खिलवाएगा।- किसी पशु या पशुओं को कोई ऐसी रीति से किसी गाड़ी मोटर यान में लेकर जाना जिस रीति से ले जाने में पशु को यातना पहुंचे।

– किसी पशु को किसी ऐसे पिंजरे में रखना जिसकी लंबाई चौड़ाई छोटी हो और पशु को यातना पहुंचे।- किसी पशु को अनुचित या छोटी रस्सी या जंजीर से बांध के रखना या फिर कोई भारी वस्तु से बांध के रखना।- पशु का मालिक होने के बाद भी पशु को खाना पानी नहीं देना।- बिना कोई उचित कारण किसी पशु को ऐसी जगह छोड़ देना जहां पर उसको दाना पानी खाना नहीं मिले और वह भूखा मर जाए।

– कोई विकलांग, भूखा, बीमार और प्यासा ऐसा पशु बिक्री के लिए बाजार में रखना।- दो पशुओं को आपस में लड़ा कर लड़ाई का मनोरंजन लेना।- गोली चला कर निशाना लगाकर पशुओं को मारना।प्रारंभिक जांच हो चुकी है। इसके बाद मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए गए हैं। जिसमें बिंदूवार जांच होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल गौ शाला में जो गाय स्वस्थ है उन्हें शिफ्ट किया जा रहा है। गौ शाला का संचालन जनपद पंचायत को सौंप दिया गया हैं।

– अविनाश लवानिया, कलेक्टर, भोपालपशु क्रूरता जैसी कोई घटना या तथ्य अब तक हुई जांच में सामने नहीं आए है। हमने अपने स्तर पर भी जांच कराई लेकिन वहां कुप्रबंधन और लापरवाही जरूर है। इन सभी के चलते प्रारंभिक तौर पर गौ शाला संचालिका पर एफआइआर दर्ज कर ली गई हैं। वहां निर्धारित क्षमता से अधिक गाय थी इस बात के भी प्रमाण मिले हैं।

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