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13 वर्ष की उम्र में बीए में प्रवेश लेने वाली तनिष्का चाहती हैं मुख्य न्यायाधीश बनना

 11 वर्ष की उम्र में 10वीं, 12 वर्ष की उम्र में 12वीं और 14 वर्ष में बीए द्वितीय वर्ष में प्रवेश लेना सुनने में अटपटा जरूर लगे लेकिन यह वह सचाई है जिसे शहर की बेटी ने सार्थक कर शहर का नाम रोशन किया है। यह मुकाम इस छात्रा ने घर में रहकर ही पढ़ाई करके पाया है। हम बात कर रहे हैं 14 वर्षीय तनिष्का सुजीत की जो वर्तमान में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल आफ सोशल साइंस से मनोविज्ञान विषय में बीए कर रही है। बीए द्वितीय वर्ष की तनिष्का शहर की एकमात्र ऐसी छात्रा है जिन्होंने इस उम्र में कालेज में प्रवेश प्राप्त किया है।

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शुक्रवार को मीडिया से हुई चर्चा में तनिष्का ने बताया कि कक्षा पांचवी तक उन्होंने नियमित छात्रा के रूप में पढ़ाई की लेकिन फिर स्कूल छोड़ घर से ही पढ़ना शुरू किया।वे बताती हैं कि पिता सुजीत चंद्रन जब बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाते थे तो मैं भी उसे समझ लिया करती थी और इस तरह अपनी कक्षा से आगे का भी ज्ञान ले लिया। मेरी योग्यता के आधार पर माता-पिता ने तात्कालिन राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली से पत्राचार कर मुझे कक्षा 8वीं की परीक्षा देने की अनुमति ली और उसके बाद मैंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी।

तनिष्का कहती हैं कि वे एलएलबी करना चाहती थी लेकिन उन्हें शहर में उस विषय के लिए प्रवेश नहीं दिया गया। अब वे विदेश जाकर एलएलबी-एलएलएम करना चाहती है ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विधिक ज्ञान को प्राप्त कर सकें। मैं चीफ जस्टीस बनना चाहती हूं कि न्याय प्रक्रिया के जरिए महिलाओं के हित में कार्य कर सकूं। मैं चाहती हूं कि प्रदेश सरकार मुझ जैसे हर काबिल विद्यार्थियों को मनचाही शिक्षा का अधिकार दे।

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