भोपाल में डेंगू के 8 महीने में 141 केस
पिछले 8 महीने में भोपाल में डेंगू के 141 केस सामने आ चुके हैं। बुधवार को कमिश्नर संजीव सिंह की समीक्षा मीटिंग में ये आंकड़े सामने आए हैं। कमिश्नर सिंह ने डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों को रोकने के लिए जलभराव रोकने, दवा का छिड़काव करने को कहा। नक्शा अपडेटेशन में भोपाल के गोविंदपुरा तहसीलदार पर कमिश्नर नाराज भी हो गए। धीमी गति होने पर नाराजगी सामने आई।
कमिश्नर सिंह ने राजस्व महाअभियान 2.0 की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि भोपाल में राजस्व महाअभियान 2.0 के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। नामांतरण, बंटवारा और अभिलेख दुरुस्ती में जिले में शत-प्रतिशत प्रकरणों का निराकरण किया गया है, लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ अभियान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। राजस्व प्रकरणों का निराकरण राजस्व अधिकारियों का मूल कर्तव्य है, इसे वे निरंतर जारी रखें। वे कार्य में आने वाली चुनौतियों को चिन्हांकित करें और उसका समाधान निकालें। उन्होंने नक्शा अपडेटेशन और ई-केवायसी में काम में तेजी लानू को कहा। हर राजस्व प्रकरण को आरसीएमएस पर दर्ज किए जाने और नामांतरण के बाद प्रकरण वेब जीआईएस पोर्टल पर दर्ज किए जाने को भी कहा। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह भी मीटिंग में मौजूद थे।
कमिश्नर संजीव सिंह ने राजस्व महाअभियान के साथ अन्य विभागों की समीक्षा भी की।
स्वाइन फ्लू के सैंपल जांच के लिए भेजे
कमिश्नर सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को मौसमी बीमारियों की रोकथाम और अच्छे इलाज के संबंध में भी कहा। मंकी पॉक्स, स्वाइन फ्लू, डायरिया, गैस्ट्रोएनट्राइटिस, मलेरिया, चिकन गुनिया, डेंगू आदि बीमारियों की स्थिति की समीक्षा की गई। मंकी पॉक्स का प्रदेश में अभी तक कोई प्रकरण नहीं है। इसकी जांच की सुविधा एनआईवी पुणे में उपलब्ध है। स्वाइन फ्लू के 24 सैंपल जांच के लिए एम्स भोपाल और गांधी मेडिकल कालेज भोपाल में भिजवाए गए हैं। डेंगू के जनवरी से अभी तक 141 प्रकरण सामने आए हैं।
सड़कों से हटाए मवेशी
मीटिंग में पशुपालन विभाग के समीक्षा के दौरान बताया कि निराश्रित गौवंश को सड़कों से हटाने और उनकी देखभाल के लिए भोपाल जिले में तीन माह का पायलेट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत भोपाल, रायसेन-विदिशा और भोपाल-सीहोर-देवास राजमार्गों के लिए दो सेक्टर बनाए जाकर गौ पेट्रोलिंग वाहनों के माध्यम से 24 घंटे पेट्रोलिंग की जा रही है। निराश्रित गौवंश को निकटस्थ गौशाला में भिजवाया जाता है। अभी तक 306 गौवंश गौशालाओं में भिजवाए गए हैं। भोपाल जिले में 42 शासकीय और 20 अशासकीय गौशालाएं संचालित हैं। कमिश्नर ने सभी एसडीएम को अपने क्षेत्र की गौशालाएं देखने और उक्त कार्य में पूरा सहयोग करने के निर्देश दिए।
भोपाल में 41 गौशालाएं
निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण यादव ने बताया, पशुओं को सड़कों से हटाए जाने के लिए निगम द्वारा चार हाइड्रोलिक वाहन, उनके उपचार के लिए दो वाहन और गौशाला भेजने के लिए एक वाहन संचालित है। निगम द्वारा 5 कांजी हाउस एवं एक गौशाला अरवलिया में संचालित है। जिला पंचायत के अंतर्गत 41 गौशालाएं हैं जिनमें 18 गौशालाएं क्रियाशील हैं। शेष गौशालाओं में भी आवश्यक प्रबंधन कर उन्हें सक्रिय किए जाने के निर्देश जिला पंचायत को दिए गए।