Wednesday, September 17, 2025
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रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने 55 लाख की रिश्वत

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए 55 लाख रुपए घूस लेने के मामले में 3 डॉक्टर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस सिलसिले में सीबीआई ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी।

मामला रायपुर में नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) से जुड़ा है। मंगलवार को रंगे हाथ गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. अशोक शेलके, डॉ. सतीश ए, डॉ. चैत्रा एमएस और उनके पति रविचंद्रन समेत अतुल कुमार तिवारी शामिल हैं। सीबीआई का कहना है कि रिश्वत के 55 लाख रुपए हवाला के जरिए दिए गए।

मामले पर भिंड स्थित श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट के मैनेजर विशाल गर्ग ने कहा- नवा रायपुर स्थित SRIMSR कॉलेज हमारे ट्रस्ट का ही है। अभी मैं बाहर हूं। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाऊंगा।

सीबीआई ने बेंगलुरु से आरोपियों को पकड़ा दरअसल, रायपुर के SRIMSR ने मान्यता के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) में आवेदन किया था। 30 जून 2025 को मेडिकल काउंसिल के 4 सदस्य डॉक्टर्स की टीम निरीक्षण के लिए SRIMSR आई थी। टीम में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. सतीश, डॉ. अशोक शेलके और डॉ. चैत्रा एमएस शामिल थे।

सीबीआई के मुताबिक, इन चारों डॉक्टर्स ने ​​​​​SRIMSR मैनेजमेंट के अतुल कुमार तिवारी से पॉजीटिव रिपोर्ट देने के लिए लेन-देन की बातचीत की। डॉ. मंजप्पा सीएन ने डॉ. सतीश को हवाला के जरिए 55 लाख रुपए इकट्‌ठा करने का काम सौंपा।

डॉ. मंजप्पा ने ही टीम के बाकी सदस्यों से बात की और भरोसा दिया कि उनका हिस्सा डॉ. सतीश उनके पास पहुंचा देंगे। लेकिन इसी बीच इस गोरखधंधे की जानकारी सीबीआई को लग गई। जांच एजेंसी ने बेंगलुरु में ट्रेप लगाकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। रिश्वत की कुल रकम में से 16.62 लाख रुपए डॉ. चैत्रा एमएस के पति रविचंद्रन और 38.38 लाख रुपए डॉ. सतीश से बरामद किए गए हैं।

आरोपियों के वकील ने आरोपों को गलत बताया सीबीआई की टीम ने सभी आरोपियों को बुधवार को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया। जहां उन्हें 5 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजा गया है। इस दौरान सभी आरोपियों से रायपुर के वीआईपी रोड स्थित सीबीआई दफ्तर में पूछताछ की जाएगी। परिवार के सदस्य और वकील रोजाना आधे घंटे के लिए उनसे मिल सकेंगे।

कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील अखिलेश सोनी ने कहा कि सीबीआई ने डॉक्टर्स पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए जांच रिपोर्ट को सही बताने 55 लाख रुपए लेने का जो आरोप लगाया है, वो गलत है। डॉक्टर्स अपनी ईमानदारी से काम करने आए थे, लेकिन उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। हवाला के माध्यम से पैसे मिलने की बात में कोई सच्चाई नहीं है।

सीबीआई ने जब्त किए दस्तावेज और डिजिटल सबूत सीबीआई अधिकारियों ने बताया- आरोपियों के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं। यह मामला चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है। रिश्वत की रकम 55 लाख रुपए थी। इसे बेंगलुरु में दिया गया था। हम लगातार जांच कर रहे हैं।

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