करोड़पति मंत्रियों का आयकर सरकार भर रही, जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मी भी खुद भरते हैं
मप्र में मंत्रियों की औसत संपत्ति 18.54 करोड़ है, फिर भी इनका आयकर सरकार भर रही है। यूपी ने पांच और पंजाब ने दो साल पहले इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी मंत्री खुद आयकर चुका रहे हैं। अब देश में मप्र समेत सिर्फ 6 राज्य हैं, जहां मंत्रियों का आयकर सरकार चुकाती है। जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी अपना आयकर खुद भरते हैं। असम में तो 1 जुलाई से मुख्यमंत्री और मंत्री अपने आवासों का बिजली बिल भी खुद ही भरेंगे।
1994 से सीएम, मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष का आयकर सरकार ही वहन कर रही है। 2023-24 के लिए राज्य सरकार ने मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष सहित 35 जनप्रतिनिधियों का 79.07 लाख इनकम टैक्स अदा किया। पिछले पांच साल में माननीयों के आयकर पर 3.24 करोड़ खर्च हुए हैं। इस बार भी जुलाई में मंत्रियों का आयकर अदा होना है। जीएडी में मुख्य लेखाधिकारी दीपक धगत के मुताबिक, पहले मंत्री आयकर जमा कर देते हैं फिर सरकार उन्हें इसकी प्रतिपूर्ति करती है।
…और इधर मंत्रालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिन्होंने पिछले साल आयकर चुकाया
1. सुरेंद्र कुमार : जमादार है और आयकर जमा करा रहे हैं। वर्ष 2023-24 में इन्होंने 34660 रुपए आयकर जमा कराया। 2.श्रीमती मंदा : ये मंत्रालय में भृत्य (पियोन) है। इनकी ओर से पिछले वित्तीय साल में 150650 रुपए आयकर जमा कराया गया। 3. गणेश : ये भी मंत्रालय के पियोन है और आयकर जमा करा रहे हैं। इन्होंने पिछले साल ही 16057 रुपए आयकर जमा कराया।
जब राष्ट्रपति खुद आयकर चुकाते है तो मंत्री क्यों नहीं?
जानकारों का कहना है कि देश के राष्ट्रपति खुद आयकर चुकाकर जिम्मेदार नागरिक की दायित्व निभाते हैं तो मंत्री क्यों नहीं? मंत्रियों के सरकारी खजाने से कर चुकाने का प्रावधान पूरे देश में खत्म कर देना चाहिए।
इन छह राज्यों में सरकार भरती है मंत्रियों का आयकर
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना।