फर्जी फैसला कांड : एसआइटी ने वरिष्ठ जज से पूछा… आरोपित संतोष को दूसरे जज से क्यों मिलवाया?
फर्जी फैसला कांड निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जांच अधिकारियों ने संदेही न्यायाधीशों की घेराबंदी शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ न्यायाधीश को 25 से ज्यादा प्रश्नों की प्रश्नावली थमा कर लिखित में उत्तर मांगा है। इस न्यायाधीश पर कनिष्ठ धोखाधड़ी के आरोपित निलंबित आइएएस संतोष वर्मा और कनिष्ठ न्यायाधीश की मुलाकात करवाने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार विशेष जांच दल (एसआइटी) ने वरिष्ठ न्यायाधीश से पूछा कि आपने एक आरोपित (संतोष वर्मा) से दूसरे न्यायाधीश की मुलाकात क्यों करवाई? विशेष न्यायाधीश (सीबीआइ और व्यापम) विजेंद्रसिंह रावत की शिकायत पर दर्ज इस मामले की जांच अपराध शाखा में पदस्थ सहायक पुलिस आयुक्त अनिल सिंह चौहान कर रहे हैं। आरोपित वर्मा फिलहाल जेल में हैं। एसआइटी पहले वर्मा से मिले दोनों न्यायाधीशों से आमने-सामने पूछताछ करना चाहता था, लेकिन बाद में तय किया कि न्यायाधीशों के विरुद्ध पहले ठोस साक्ष्य एकत्र किए जाएं। एसआइटी ने सीधे पूछताछ नहीं करते हुए 25 से ज्यादा प्रश्नों की प्रश्नावली भेज दी। इसके उत्तर से उनकी भूमिका स्पष्ट हो जाएगी।
न्यायालय कर्मियों के बयानों से तय की न्यायाधीशों की भूमिका
पुलिस आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र ने न्यायाधीशों की भूमिका स्पष्ट करने के लिए तेजतर्रार अधिकारियों का दल बनाया है। टीम ने न्यायालय कर्मी कुश हार्डिया, अनिता दीक्षित, महेश भाटी, राजेश शर्मा, सुनील पुरोहित, हरगोविंद पाठक, सुखदेव नवारे, प्रकाश रणसोरे, रूपेश आलेवार, जितेंद्र नंदवाल, संजय पंवार, गीता अग्रवाल, अर्चना लालगे, अनिल तोमर के दोबारा कथन लिए, जिनसे सीएसपी मोटवानी पहले पूछताछ कर चुके थे। तीन कर्मियों ने एक जज की भूमिका के बारे में जानकारी दी, लेकिन एसआइटी ने इसे गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त नहीं माना
उत्तर मिलने केबाद होगी आगे की कार्रवाई
जांच में शामिल अधिकारियों के अनुसार ये वे प्रश्न हैं, जिनके बारे में वर्मा ने खुद पूछताछ में बताया था। इन सवालों के उत्तर के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उच्च न्यायालय ने पूछताछ के लिए सशर्त अनुमति दी है। एसआइटी को न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम का पालन करना अनिवार्य है। इसलिए एसआइटी पत्राचार भी एडीजे स्तर के न्यायाधीश के माध्यम से करती है।