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पूर्व गृहमंत्री के फोन टैपिंग के आरोप में कितना दम

‘मुझे मत समझाइए, मैं गृह मंत्री रहा हूं। मुझे सब पता है। ये बताइए कि किसकी अनुमति से सीडीआर निकाली जा रही है?’ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के सामने पूर्व गृह मंत्री और बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह ने जब ये कहा तो सागर एसपी और कलेक्टर एक-दूसरे का मुंह देखते रह गए।

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सागर की जिला योजना समिति की बैठक में भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाए कि कुछ स्थानीय पुलिस अधिकारी बिना एसपी और आईजी की इजाजत के लोगों के मोबाइल की कॉल डिटेल रिपोर्ट (CDR) निकालकर उन्हें धमकी दे रहे हैं। हालांकि, सिंह ने ये नहीं बताया कि किन लोगों की सीडीआर निकाली गई और उनसे उनके क्या संबंध हैं?

भूपेंद्र सिंह के इन आरोपों के बाद डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए तो कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री ही इस प्रदेश में असुरक्षित हैं तो संदेश साफ है कि यहां माफिया का राज है। बहरहाल, इस मामले के बाद मध्यप्रदेश में राजनेताओं, उनसे जुड़े लोगों के फोन टैप और उनकी कॉल डिटेल्स निकालने का मुद्दा फिर चर्चा में है।क्या किसी के फोन टैप करना या उसकी कॉल डिटेल्स निकालना इतना आसान है? पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी कब किसके फोन टैप कर सकती है? कितने दिन तक कर सकती है? कैसे करती है? कानून में इसके क्या प्रावधान हैं? इन तमाम सवालों की पड़ताल

भूपेंद्र सिंह ने किसी का नाम नहीं लिया खुरई सीट से बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह शिवराज सरकार में पावरफुल मिनिस्टर रहे हैं। मोहन सरकार में उन्हें मंत्री पद नहीं मिला। जिला योजना समिति की बैठक में ये आरोप उन्होंने लगाए जरूर, मगर किसी का नाम नहीं लिया। ये भी नहीं बताया कि जिन लोगों ने उन्हें ऐसी शिकायतें कीं, उनसे उनके क्या संबंध हैं।

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