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भोपाल गैस त्रासदी मामला

भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि बीएमएचआरसी हॉस्पिटल भोपाल को एम्स में मर्ज न करने का भी निर्णय लिया गया है। सरकार ने ये जवाब हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के बाद कोर्ट में पेश किया है। केंद्र ने यह भी बताया कि बीएमएचआरसी जुड़े रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे।

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सिर्फ एक कंपनी ने निविदा पेश की, इसलिए पहला टेंडर निरस्त कर दिया है। जल्द दूसरा टेंडर होगा। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने बीएमएचआरसी को एम्स में मर्ज करने के संबंध में लिखित जवाब पेश करने के निर्देश दिए ​थे। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

हर तीन माह में रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 दिशा-निर्देश दिए थे। इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने कमेटी भी गठित की थी। कोर्ट ने कमेटी को हर तीन माह में रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करने कहा था।

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