मध्यप्रदेश में शासकीय स्कूलों में वर्षों से सेवा दे रहे अतिथि शिक्षक इन दिनों अपनी नियुक्ति, पद अपडेट और पंजीयन जैसी प्रक्रियाओं को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) के लगातार चक्कर काट रहे हैं। बावजूद इसके उनकी समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं मिल पा रहा है।
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के अनुसार, समस्याएं सुनने और सुलझाने की बजाय DPI के अधिकारी बदसलूकी करते हैं। शिक्षकों से यह तक कह दिया जाता है कि यहां क्यों आए हो, तुम्हारा काम नहीं होगा, घर चले जाओ। आरोप है कि अधिकारी उनकी समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें टालते हैं और कभी-कभी कोर्ट जाने की सलाह भी देते हैं।
अलग-अलग जिलों से आए शिक्षक
- रीवा से आईं अतिथि शिक्षक अनीता सोनी का कहना है कि पिछले 10 दिनों से पद अपडेट कराने के लिए भोपाल आ-जा रही हूं। 12 वर्षों से कार्यरत हूं।
- मऊगंज की निर्मला देवी 2 जुलाई से डीपीआई के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन अब तक उनका काम नहीं हुआ है।
- मऊगंज से फूलकली साकेत 28 जून से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वे कहती हैं कि यदि रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो 15 सालों की सेवा पर पानी फिर जाएगा।
- सीहोर से आए शिक्षक चंदर सिंह रीजनिंग की त्रुटि को सुधारने के लिए 15 दिन से भटक रहे हैं।
प्रशासनिक असंवेदनशीलता का आरोप शिक्षकों का कहना है कि जब कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता है तो अधिकारी उन्हें कोर्ट का रास्ता अपनाने की सलाह देते हैं। इससे उनकी मानसिक स्थिति पर असर हो रहा है। वहीं दूसरी ओर, ई-अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा।