अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात बाघ शिकारी और तस्कर आदिन सिंह उर्फ कल्ला बावरिया की दूसरी जमानत याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने खारिज कर दी है। अदालत ने यह आदेश 30 जुलाई 2025 को सुनाते हुए नर्मदापुरम की अदालत को निर्देश दिया है कि वह मामले की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी कर फैसला सुनाए।
स्टेट टाइगर फोर्स के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) ने प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी दी है।
दो साल से जेल में बंद है तस्कर
आरोपी कल्ला बावरिया पिछले दो वर्षों से केंद्रीय जेल नर्मदापुरम में बंद है। उसने अपनी रिहाई के लिए हाईकोर्ट में दो बार जमानत याचिका लगाई, लेकिन दोनों ही बार उसे कोर्ट से राहत नहीं मिली। अदालत ने साफ कहा कि कल्ला एक संगठित गिरोह का हिस्सा है और उस पर गंभीर आरोप हैं, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जा सकती।

सागर-विदिशा हाईवे से हुई थी गिरफ्तारी
स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (STSF) ने 18 अगस्त 2023 को विदिशा-सागर हाईवे पर ग्यारसपुर के पास से आदिन सिंह को गिरफ्तार किया था। वह पंजाब के होशियारपुर जिले के दसुआ गांव का रहने वाला है। गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से बाघ की मूंछ के बाल और नाखून बरामद किए गए थे।
उसके खिलाफ देश के कई राज्यों में वन्यजीवों के शिकार और तस्करी के केस दर्ज हैं। नेपाल की जांच एजेंसी “नेपाल सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो” भी उसकी तलाश कर रही थी।
देशभर में फैला था गिरोह
मप्र टाइगर स्ट्राइक फोर्स की टीम ने उसकी गिरफ्तारी वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, नई दिल्ली से मिले इनपुट पर की थी। कल्ला के गिरोह के सदस्य पहले ही तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम और मेघालय में पकड़े जा चुके हैं। पुलिस और वन विभाग की कार्रवाई से बचने के लिए वह विदिशा और सागर में छिपकर रह रहा था।
नेपाल और महाराष्ट्र में भी दर्ज हैं केस सरकारी एजेंसियों ने इंटरपोल के जरिए नेपाल से जानकारी मंगाई थी, जिसमें सामने आया कि वर्ष 2012 में नेपाल में बाघ के शिकार और तस्करी का केस कल्ला बावरिया पर दर्ज है। वहीं महाराष्ट्र में 2013 में भी उसके खिलाफ बाघ के अंगों की तस्करी का मामला सामने आया। वहां उसे दोषी पाते हुए अदालत ने तीन साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था।
फिलहाल कल्ला बावरिया और उसका गिरोह नर्मदापुरम जेल में बंद है और मामले की सुनवाई जारी है।