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साल के अंत तक इंदौर में ही होने लगेगी खाद्य पदार्थों की जांच, जनहित याचिका निराकृत

खाने-पीने के लिए पहचाने जाने वाले इंदौर में जल्दी ही खाद्य पदार्थों की जांच भी होने लगेगी। यहां तैयार हो रही फूड टेस्टिंग लैब साल के अंत तक काम करने लगेगी। 80 प्रतिशत काम पूरा हो भी चुका है। कलेक्टर को चार महीने में प्रींसिपल रजिस्ट्रार के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर बताना है कि काम कहां तक पहुंचा। इंदौर के अलावा ग्वालियर और जबलपुर में भी खाद्य सुरक्षा प्रयोगशालाएं बनाई जा रही हैं, जबकि भोपाल स्थित प्रयोगशाला उन्नत होनी है। एक साल के भीतर इन सभी प्रयोगशालाओं का काम पूरा हो जाना चाहिए। हम याचिकाकर्ता की तारीफ करते हैं कि उन्होंने जनता से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को न्यायालय की नजर में लाया।

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इस आदेश के साथ हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला को लेकर दायर जनहित याचिका का निराकरण कर दिया। याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने दायर की थी। याचिका में कहा था कि इंदौर प्रदेश का आर्थिक राजधानी है। इस शहर को खाने-पीने वालों के शहर के रूप में भी पहचाना जाता है लेकिन यहां खाद्य पदार्थों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। खाद्य पदार्थों के सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजना पड़ते हैं। जब तक भोपाल से जांच रिपोर्ट मिलती है तब तक खाद्य वस्तुएं लोगों के पेट में जा चुकी होती हैं।

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