आयकर विभाग को साइंस हाउस, डिसेंट मेडिकल्स और अन्य सहयोगी ग्रुप्स के बीच हवाला कनेक्शन का पता चला है। इसके साथ ही साइंस हाउस ग्रुप के डायरेक्टर शैलेंद्र तिवारी के यहां से एक करोड़ कैश और 900 ग्राम ज्वैलरी मिली है जिसे सीज कर दिया गया है। चार दिन रात चलने के बाद शनिवार को सुबह खत्म हुई है।
बोगस बिलिंग के जरिए सरकार को चपत लगाने वाले साइंस हाउस और उसके सहयोगियों के यहां मंगलवार सुबह से जांच शुरू हुई थी जो शनिवार सुबह तक चली है। कई अधिकारी आज सुबह सात बजे जांच खत्म कर घर और दफ्तर पहुंचे हैं। जांच में सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि साइंस हाउस के संचालक जितेंद्र तिवारी, उसके भाई शैलेंद्र तिवारी के अलावा इस ग्रुप से जुड़े राजेश गुप्ता लालघाटी, डिसेंट मेडिकल्स एमआर -5 कालोनी इंदौर और अन्य सहयोगियों के यहां से 250 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी और बोगस बिलिंग के दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
सबसे अधिक गड़बड़ी बोगस बिलिंग के माध्यम से की गई और रूट कर एक देश या प्रदेश से सामान मंगाकर एमपी में सप्लाई किया गया है। जांच में बोगस बिलिंग का जखीरा मिला है जिसके आधार पर जांच के लिए अब एक-एक करके बयान लेने का काम किया जाएगा, जिसके लिए जल्दी ही नोटिस जारी किए जाएंगे।
हवाला में लगाते हैं अवैध रूप से कमाए पैसे
पड़ताल के दौरान यह भी पता चला है कि इस ग्रुप के सभी लोगों ने हवाला में पैसे लगाए हैं। हवाला कारोबार की लिंक पकड़ने के बाद आयकर विभाग अब इस मामले में अलग से भी जांच करने वाला है ताकि पूरे कनेक्शन का पर्दाफाश किया जा सके।
चार करोड़ की ज्वेलरी और नकदी मिली
आयकर विभाग की टीम को चार करोड़ रुपए की नकदी और ज्वैलरी मिली है। इसके साथ ही यह जानकारी भी सामने आई है कि विभाग के अफसरों की टीम ने साइंस हाउस के डायरेक्टर शैलेंद्र तिवारी के यहां से 900 ग्राम सोना सीज किया है। अकेले तिवारी के यहां से एक करोड़ रुपए का कैश भी मिलने की जानकारी सामने आई है। इसके अलावा राजेश गुप्ता के द्वारा युगांडा में भी संस्था खोलने और कारोबार करने की जानकारी विभाग को मिली है।
चाइना कनेक्शन भी मिला है जितेंद्र का
साइंस हाउस के मालिक जितेंद्र तिवारी का चाइना और अन्य देशों से भी कनेक्शन सामने आया है। वह हेल्थ इक्विपमेंट सप्लाई करने और सस्ती सामग्री को महंगे दामों पर बेचने के लिए रूट सिस्टम का इस्तेमाल करता था जिसके लिए पहले इक्विपमेंट को एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता और फिर दूसरे से इंडिया मंगाकर सप्लाई किया जाता था।