अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग को 27% आरक्षण देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई शुरू होने के पहले भोपाल में इस केस से जुड़े अधिवक्ताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों की अहम बैठक हो रही है। पलाश होटल में आयोजित इस बैठक में सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने सहयोग का प्रस्ताव रखा और अधिवक्ताओं से हाथ उठाकर सहमति ली गई कि कोर्ट में सरकार जो भी जवाब पेश करेगी, सभी उसमें साथ देंगे।
बैठक में जिन अधिवक्ताओं ने सरकार की ओर से आए प्रस्ताव पर असहमति जताई उन्हें भी मनाने की कोशिश बैठक में की गई है। बैठक में याचिकाकर्ताओं के वकील के साथ-साथ सरकार के अधिवक्ता भी मौजूद हैं। बैठक की शुरुआत में अधिवक्ताओं ने बार-बार यही सवाल उठाया कि सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट करे।
23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट नियमित सुनवाई करेगा
महाधिवक्ता की मौजूदगी में हो रही इस बैठक में अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर समेत अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि 23 सितंबर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई शुरू होने जा रही है। ऐसे में सरकार को अपनी नीति और रुख सार्वजनिक करना अनिवार्य है।
बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व से भी जुड़ा है। इसलिए सरकार को समय रहते अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए, जिससे ओबीसी समाज को न्याय मिल सके। अब सबकी निगाहें सरकार के रुख और 23 सितंबर से शुरू होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
सीएम ने बुलाई थी सर्वदलीय बैठक
ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के मामले में 28 अगस्त को मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी निवास स्थित समत्व भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें सभी ने एक स्वर में ओबीसी को 27% आरक्षण देने की बात कही थी। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस मामले से जुड़े सभी वकील 10 सितंबर से पहले बैठक कर तय कर लें कि सुप्रीम कोर्ट में 23 सितंबर से शुरू हो रही नियमित सुनवाई के दौरान कैसे और क्या पक्ष रखा जाना है।