देश में सबसे अधिक बाघों वाले मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों के संगठित शिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से जवाब तलब किया है। कोर्ट में याचिका क्रमांक 829 / 2025 के जरिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों के संगठित शिकार का आरोप लगाया गया है और इस गंभीर मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस याचिका पर अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
इन बिंदुओं पर दायर हुई है याचिका
महाराष्ट्र सरकार की एसआईटी जांच में शिकारी, तस्करों और हवाला नेटवर्क का संगठित गिरोह सामने आया। यह गिरोह बाघों की खाल, हड्डियां और ट्रॉफी को राज्य की सीमाओं से बाहर और विदेशों तक तस्करी करता है।
याचिका में रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया है कि बाघों का शिकार अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन प्रभागों और कॉरिडोर में ज्यादा हो रहा है, जहां निगरानी और सुरक्षा बेहद कमजोर है। वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) ने इन क्षेत्रों को बाघों के फैलाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है।
बंसल ने अदालत में कहा
याचिकाकर्ता के वकील बंसल ने कहा कि भारत में 30% से अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पाए जाते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि तस्करी का यह संगठित नेटवर्क वन गुर्जर समुदाय जैसे आदिवासी समूहों से जुड़े गिरोहों को भी शामिल करता है। उन्होंने अदालत से मांग की कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।