एम्स भोपाल में एक बार फिर उत्पीड़न का मामला सामने आया है। ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रुति दुबे ने अपने ही विभागाध्यक्ष डॉ. मोहम्मद यूनुस पर धमकाने, डराने और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं।
एम्स प्रशासन ने इस शिकायत की पुष्टि की है। शिकायत में कहा गया है कि विभागाध्यक्ष डॉ. यूनुस ने उन्हें अकेले में जबरन कमरे में बैठा कर धमकाया और प्रताड़ित किया। मीटिंग में सबके सामने अपमानित किया। डॉ. दुबे ने कहा कि लगातार मानसिक दबाव और धमकी भरे रवैये के कारण वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
यह मामला एम्स की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) तक पहुंच गया है, जिसने इसे संज्ञान में लिया है। वहीं विभागाध्यक्ष डॉ. यूनुस ने सभी आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि यह मामला इंटर कंप्लेंट कमेटी के पास है। उन्हें हमने अपनी तरफ से जवाब दे दिया है।

अकेले कमरे में बनाया दबाव डॉ. श्रुति दुबे ने दो पन्नों की शिकायत में लिखा कि 7 अगस्त 2025 की सुबह 10:40 बजे डॉ. यूनुस बिना पूर्व सूचना के ICU के काउंसलिंग रूम में आए और उन्हें ट्रॉमा विभाग में ड्यूटी जॉइन करने का आदेश दिया। जब उन्होंने बताया कि एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के आदेश के अनुसार उनकी पोस्टिंग ICU में है, तो डॉ. यूनुस ने जवाब दिया कि ऐसे ऑर्डर्स की कोई वैल्यू नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि आदेश न मानने पर उनके अप्रूवल पीरियड पर असर पड़ेगा।
डॉ. दुबे ने आरोप लगाया कि डॉ. यूनुस ने उन्हें बार-बार धमकाया, मानसिक रूप से दबाव डाला और झूठे आरोप लगाए। उन्होंने लिखा मुझे जबरन अपने साथ बैठाए रखा गया। कमरे में मैं अकेली थी और असहज महसूस कर रही थी।
धमकी और अपमान का आरोप
डॉ. दुबे ने शिकायत में आगे कहा- इसके बाद 11 बजे विभागीय बैठक में भी उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। डॉ. यूनुस ने वहां मौजूद फैकल्टी और रेजिडेंट्स के सामने कहा कि डॉ. दुबे ने ट्रॉमा में ड्यूटी के लिए हामी भर दी है, जबकि ऐसा नहीं था। विरोध करने पर उन्होंने सबके सामने चिल्लाकर कहा, तुम्हारी यहां जरूरत नहीं है।
नौकरी छोड़ने पर कर रहीं विचार डॉ. दुबे ने लिखा कि इन घटनाओं के कारण वे मानसिक रूप से टूट गई हैं और कार्यस्थल पर खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा मैं अपने करियर की शुरुआत में हूं, लेकिन इस माहौल में काम करना मेरे मानसिक स्वास्थ्य और करियर दोनों को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने ICC से अपील की कि उन्हें सुरक्षित, सम्मानजनक और गैर-धमकीपूर्ण माहौल प्रदान किया जाए। ऐसा ना होने पर वे नौकरी नहीं कर सकेंगी।
विभाग की दूसरी डॉक्टर HOD के पक्ष में विभाग की एक अन्य महिला डॉक्टर के अनुसार, ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग की एक अन्य वरिष्ठ महिला प्रोफेसर ने भी डॉ. युनूस के पक्ष में प्रबंधन को लिखित और मौखिक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि विभाग में अनुशासन बनाने के लिए HOD ने डॉ. दुबे को मीटिंग में बुलाया था। विभाग के काम की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन वे इससे हमेशा बचती रहीं। जब उनसे काम करने के लिए कहा गया तो उन्होंने HOD के खिलाफ ही शिकायत कर दी।
महिला डॉक्टर ने कहा कि डॉ. श्रुति दुबे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हैं। ऐसे में उन्हें विभाग की जिम्मेदारियां निभानी चाहिए थीं। लेकिन बीते एक साल में उन्होंने न तो रेगुलर क्लासेस ली हैं और न ही अन्य जरूरी कामों में गंभीरता दिखाई है। जब डॉ. यूनुस ने सख्ती दिखाई, तो उन्होंने आरोप लगाए हैं।
एम्स प्रशासन ने की शिकायत की पुष्टि
एम्स प्रशासन ने इस शिकायत की पुष्टि की है, हालांकि किसी आधिकारिक जांच या कार्रवाई की घोषणा फिलहाल नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने बयान दर्ज कर लिए हैं। प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच निष्पक्ष रूप से होगी ताकि कार्यस्थल पर सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की जा सके।




