मनरेगा का नाम बदलने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ रविवार को भोपाल कांग्रेस कमेटी ने मिंटो हॉल में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस प्रदर्शन में भोपाल कांग्रेस जिला अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए।
विरोध जताते हुए भोपाल कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बदलना यानि सीधे उनके सम्मान को आघात पहुंचाना है। कांग्रेस पार्टी कभी यह सहन नहीं करेगी। देश का एक-एक नागरिक भी इसे सहन नहीं करेगा। सरकार को नाम बदलने की राजनीति नहीं करनी चाहिए। आज भी लोगों को मनरेगा स्कीम के तहत पैसा नहीं मिल पा रहा है, इस दिशा में सरकार को सोचना चाहिए।

जेपी धनोपिया ने भाजपा पर साधा निशाना कांग्रेस के सीनियर लीडर जेपी धनोपिया ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) वर्ष 2005 से लगातार पिछले 20 वर्षों से देश के ग्रामीण इलाकों में गरीबों, आदिवासियों और मजदूर वर्ग को रोजगार देने का काम कर रहा है। यह योजना सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने खुद 11 वर्षों तक इस योजना का उपयोग किया। इसके बावजूद अचानक इसका नाम बदलने का फैसला लिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार संसद में कहा था कि मनरेगा कांग्रेस के शासनकाल का एक ‘स्मारक’ है। अगर ऐसा है, तो फिर सवाल उठता है कि इस स्मारक को मिटाने की जरूरत क्यों महसूस हुई? मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाकर भगवान राम का नाम जोड़ना केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व को छोटा करने का प्रयास है।
कांग्रेस पार्टी ने रखी ये मांग
भगवान राम हमारे आस्था के केंद्र हैं, लेकिन उनके नाम पर महात्मा गांधी के योगदान को मिटाना न तो उचित है और न ही स्वीकार्य। कांग्रेस पार्टी मानती है कि यह फैसला राजनीतिक संकीर्णता से प्रेरित है। आने वाले समय में जनता इसका हिसाब जरूर मांगेगी। कांग्रेस इस निर्णय का विरोध करती है और मनरेगा के मूल स्वरूप व उसकी पहचान को बनाए रखने की मांग करती है।
प्रदर्शन में कांग्रेस सेवा दल अध्यक्ष अवनीश भार्गव, गोविंदपुरा विधानसभा प्रभारी नरेश सिंह, कांग्रेस कार्यकर्ता विनीता साहू, अनोखी मान सिंह, राहुल सिंह राठौर मौजूद रहे।




