अभाविप का बैतूल में जनजातीय विधार्थी महोत्सव हुआ संपन्न
भोपाल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिला बैतूल द्वारा जनजातीय विधार्थी महोत्सव जे.एच. महाविद्यालय में संपन्न हुआ ।जिसमें बड़ी संख्या में बैतूल जिले की विभिन्न महाविद्यालय एवं तहसील से जनजातीय विधार्थी शामिल हुए । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप से अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री प्रफुल्ल अकांत जी उपस्थित रहे ।
अपने भाषण में प्रफुल्ल जी ने कहा “कि हमारे जनजातीय समाज के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने का काम अंग्रेजों ने और उसके बाद अन्य अन्य सरकारों ने किया । आज एक बड़े षड्यंत्र के तौर पर अन्य हिंदु समाज को जनजातीय समाज का दुश्मन बताने का षड्यंत्र विदेशी ताकतें गांव में कर रही हैं जबकि जनजातीय समाज के असली दुश्मन तो ये अंग्रेज और मुगल थे । असल मायने में देखा जाए तो आज का कार्यक्रम जनजातीय समाज के गौरव का समाज में उद्घोष करने का महोत्सव है ।”
कार्यक्रम में अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री सुश्री शालिनी वर्मा एवं अभाविप के अखिल भारतीय जनजातीय कार्य प्रमुख श्री प्रमोद राउत जी भी उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में शिक्षा एवं जनजातीय गौरव के पुनर्जागरण की दृष्टि से एक प्रस्ताव भी विद्यार्थियों द्वारा पारित किया गया । कार्यक्रम के अंत में शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जो नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस जे.एच. महाविघालय पर समाप्त हुई । शोभा यात्रा में सांस्कृतिक परिधानों में छात्र छात्राएं जनजातीय संस्कृति को दर्शाते दिखे इस शोभा यात्रा का समाज के विभिन्न समाज के लोगों द्वारा स्वागत किया गया ।
विचारार्थ प्रस्ताव क्रमांक 1 – शा.महाविद्यालयों के नाम में जनजातीय महापुरुषों को मिलें स्थान |
गोंड राजवंश की राजधानी रहा,प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण,जनजातीय अनुष्ठानों,परंपराओं से सुसज्जित है मध्यप्रदेश का बैतूल जिला |
भारत की संस्कृति, स्वाभिमान के लिए जितना बलिदान और संघर्ष जनजातीय महापुरुषों का है वैसा उदाहरण विश्व में कहीं नहीं मिलता है भारत में प्रत्येक विदेशी आक्रमणकारी के विरुद्ध जनजातीयों ने सबसे पहले शस्त्र उठाएं है इतिहास में एक भी ऐसा उदाहरण नही है जब किसी आक्रमणकारी के भय या लालच से भ्रमित होकर जनजातियों ने घात किया हो अंग्रेजीराज में सबसे पहले जनजातियों ने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मजरों, टोलो से तीर कमान उठाए और अंग्रेजो से संघर्ष किया | मध्यप्रदेश में जनजातिय महापुरुषों के बलिदान का लंबा इतिहास रहा है | जनजातीय महापुरुषों को पुनः पहचान देने हेतु यह जनजातीय विद्यार्थी महोत्सव मांग करता है कि बैतूल जिले के शा.महाविद्यालय भैंसदेही का नाम शा.रामजी भाऊ कोरकू महाविद्यालय के नाम से किया जाए | रामजी भाऊ कोरकू ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भैंसदेही जंगल सत्याग्रह के दौरान 6 अप्रैल 1932 से 20 जनवरी 1933 तक जेल में कठोर कारावास भुगतना पड़ा ऐसे जनजातीय वीर को आज पहचान देना आवश्यक प्रतीत होता है | साथ ही शासकीय कन्या महाविद्यालय बैतूल का नाम शा.रानी दुर्गावती कन्या महाविद्यालय,शासकीय महाविद्यालय घोड़ाडोंगरी का नाम शा. गंजन सिंह कोरकू रखा जाएं |
साथ ही जिले के जनजातीय छात्रावासो में प्रवेश हेतु सीट वृद्धि की जाएं जिससे दूरदराज क्षेत्र से आने वाले जनजातीय विद्यार्थियों को अध्ययन – अध्यापन ठीक प्रकार से हो |
बैतूल जिले के शा.कन्या महाविद्यालय में बीएससी,बीकॉम, एमए, एमकॉम, एमएससी व शासकीय महाविद्यालय सारणी, मुल्ताई,आमला,भैंसदेही,आठनेर में एमएससी के पाठ्यक्रम संचालित किए जाएं ताकि विद्यार्थियों को रुचि का विषय लेने में असुविधा नहीं हो |
मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक रूप से जनजातीय का अलग ही महत्व है | रचनाशीलता एवं कलात्मक अभिव्यक्ति का अनोखा संगम जनजातीय कलाकारों में देखने को मिलता है | सौंदर्य और साज सज्जा से लेकर रण कौशल के युद्धाभ्यास तक चित्रकारी और शिल्पकला से लेकर कढ़ाई बुनाई की घरेलू कलाओं तक हर स्तर पर जनजातियों का यह समाज बेहद परिपक्व एवं संपन्न नजर आता है | अतः यह जनजातीय विद्यार्थी महोत्सव बैतूल जिले के कलाकारों के लिए संस्कृति,संरक्षण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु सांस्कृतिक कल्चर जॉन बनाने की मांग करता है |
यह जनजातीय विद्यार्थी महोत्सव समस्त विद्यार्थी वर्ग की शिक्षा की गुणवत्ता,जीवंत परिसर के निर्माण व आनंदमय सार्थक विद्यार्थी जीवन हेतु संकल्पित है |