अफ्रीकन गैंग कर रही इंडियन शिकार:नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों को साथ लेकर बिछाया जाल, ग्वालियर के व्यापारी से 49 लाख की ठगी
ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने एक सप्ताह पूर्व अफ्रीकन गैंग के एक सदस्य को पकड़ा था। पकड़ा गया ठग अफ्रीकन देश तंजानिया का नागरिक है और उसके साथ भारत की एक महिला मिली थी। इससे 49 लाख रुपए की ठगी का खुलासा हुआ है। जेल जाने से पहले गैंग के सदस्य ने कई बड़े खुलासे किए हैं। इस गैंग में अफ्रीकन देशों के कई नागरिक शामिल होने का पता लगा है। यह अफ्रीकन गैंग भारत के नॉर्थ ईस्ट की गरीब लड़कियों को एक्सेंट ब्रिटिश बोलने की ट्रेनिंग देकर उनका उपयोग भारत के अलग-अलग शहरों में ठगी का जाल बिछाते थे।
यह ब्रिटेन की दवा बनाने वाली कंपनी के अधिकारी बनाकर इन लड़कियों के माध्यम से लोगों को टारगेट करते थे। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि सिर्फ ग्वालियर के ही नहीं बल्कि कई शहरों के व्यापारियों को गैंग ने इसी तरह टारगेट किया और ठगा है। अब क्राइम ब्रांच इनके कॉल डिटेल, अकाउंट डिटेल से इनके द्वारा किए गए कांड का पता लगा रही है। इनके दूसरे तंजानिया, नाइजीरिया के साथियों की तलाश कर रही है।
इंडिया में ठगी के लिए आते हैं तंजानिया (अफ्रीकन देश) के 29 साल के टेरी ओबो ने ग्वालियर क्राइम ब्रांच के सामने कुबूल किया है कि वह अकेले इस गैंग में नहीं हैं। बल्कि अफ्रीकन देशों जैसे तंजानिया, नाइजीरिया के कई नागरिक उनकी गैंग में हैं। हम स्टूडेंट वीजा के सहारे यहां भारत में आकर अपना ठगी का रेकेट तैयार करते हैं। हम लोग भारत के कुछ बेरोजगार या शातिर लोगों का इस्तेमाल करते हैं। तरीका और नेटवर्क हमारा होता है लेकिन जरिया भारतीय बनते हैं।
नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों से कराते थे कॉल
पकड़े गए ठग टेरी ओबो से पूछताछ के बाद खुलासा हुआ है कि वह कॉल कर लोगों को फंसाने के लिए दिल्ली में रहने वाली नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों का उपयोग करते थे। उनकी आवाज सुरीली होती है। साथ ही आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर उनको कमीशन पर कॉलिंग के लिए रखा जाता है। चूंकि यह दिल्ली में पढ़ाई कर रही होती हैं इसलिए इनको एक्सेंट ब्रिटिश सिखाकर तैयार किया जाता था। इसके बाद उनको भारत के अलग-अलग शहरों के कारोबारी, व्यापारियों के मोबाइल नंबर उपलब्ध कराकर बातचीत कर ब्रिटेन में दवा कंपनी में रॉ मटेरियल सप्लाई के बिजनस में कम समय में मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर फंसाने के लिए डील करवाई जाती है।
थ्री स्टार होटल में करते थे मीटिंग
जब इस अफ्रीकन गैंग के जाल में फंसकर कोई व्यापारी दिल्ली मुलाकात करने पहुंचता था तो यह लोग थ्री स्टार रेंज के होटल में मुलाकात करते थे। इसी होटल में पार्टी के ठहरने के इंतजाम करते थे। जिस तरह का ट्रीटमेंट यह देते थे, उससे पार्टी को लगता था कि कोई दमदार पार्टी से वह मिले हैं। जिस कारण उनके मन में कोई शक होता था तो वह भी दूर हो जाता था। दिल्ली में बैठकर यह ठग पूरे देश में अपना जाल फैला रहे थे।
18 बैंक खातों में से एक अकाउंट से हुआ ठगी का खुलासा
जब पुलिस ग्वालियर के एक दवा कारोबारी विजय शर्मा से ठगे गए 49 लाख रुपए के ठगी के मामले की जांच कर रही थी तो पता लगा कि ठगी का पूरा पैसा जो उन्होंने हैदराबाद की रंगारेड्डी फर्म को ट्रांसफर किया था वह 18 बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था। साथ ही इन 18 बैंक खातों से एक निश्चित कमीशन एक सेम अकाउंट में आ रहा था। जब ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने इस अकाउंट की डिटेल खंगाली तो यह अकाउंट दिल्ली निवासी वीनस रावत का निकला है। जब वहां पहुंची तो इस अफ्रीकन गैंग का खुलासा हुआ था।
ग्वालियर के कारोबारी को ऐसे फंसाया था ग्वालियर में रहने वाले विजय शर्मा फार्मा कारोबार से जुड़े हैं। जुलाई 2023 में उनके पास एक कॉल आया था। कॉल करने वाली महिला ने अपना नाम लॉरेस एल्विस बताया और कहा कि वो ब्रिटेन की फार्मा कंपनी की प्रतिनिधि है। उनकी कंपनी ओबेसिटी से जुड़ी हर्बल मेडिसन बनाती है। यदि आप उसके लिए कच्चा मटेरियल भारत से खरीदकर हमें भेजेंगे तो हम उस पर आपको 20 प्रतिशत कमीशन देंगे। साथ ही महिला ने यह भी बताया कि कच्ची सामग्री उनको आंध्र प्रदेश की रंगारेड्डी फर्म में मिल जाएगी। वहां से सैंपल खरीदने का सुझाव भी दिया। विजय को व्यापार में लाभ दिखाई दिया तो उन्होंने अपने एक दो साथियों को साथ लेकर रंगारेड्डी फर्म से 8 लाख रुपए के आठ सैंपल खरीदे और दिल्ली जाकर कंपनी के प्रतिनिधि लूकर्स एडवर्ड से मिले। उसने सैंपल देखकर सहमति जताई और बताया कि आपका सैंपल पास हो गया है लेकिन कहा कि हम एक सैंपल से अप्रूवल नहीं दे सकते, आपको कम से कम 50 से 60 सैंपल लाने होंगे। यह सुनकर विजय ग्वालियर वापस आये और करीब 49 लाख के सैंपल खरीदकर कंपनी के प्रतिनिधि को दे दिए। इसके बाद वह ग्वालियर आ गए लेकिन कुछ दिन बाद और सैंपल भेजने के लिए कहा गया। जब कुछ दिन तक कोई व्यापारिक हलचल नहीं दिखी तो विजय शर्मा को शक हुआ। संदेह होने पर कारोबारी विजय शर्मा ने सबसे पहले आन्ध्र प्रदेश की रंगारेड्डी फर्म को इंटरनेट पर सर्च किया लेकिन इस नाम की कोई फर्म इस व्यवसाय से जुड़ी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन की कंपनी को सर्च किया तो वह भी फेक मिली है।
सदस्यों की तलाश की जा रही है
कॉल, अकाउंट डिटेल के बाद पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इस अफ्रीकन गैंग का निशाना इंडियन कारोबारी होते थे। गिरोह के कई सदस्यों की जानकारी मिली है, जिनकी तलाश की जा रही है।
धर्मेन्द्र शर्मा, साइबर एक्सपर्ट क्राइम ब्रांच