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राहुल गांधी की यात्रा में अखिलेश शामिल नहीं हुए

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा सोमवार को अमेठी पहुंची। इसमें समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को भी शामिल होना था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। सपा मुखिया ने कहा- सपा कार्यकर्ता राहुल गांधी की यात्रा में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि सीट शेयरिंग पर फैसला नहीं होता।

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उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। कई सूचियां उधर से आई हैं और कई इधर से भी गई हैं। लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला। इस बीच सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें ऑफर की हैं।

समाजवादी पार्टी की ओर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर 17 सीट देने की बात कही गई है।

राहुल गांधी की न्याय यात्रा सोमवार को अमेठी पहुंची। उन्होंने करीब एक किलोमीटर की पदयात्रा की। इसके बाद जनसभा को संबोधित किया।

राहुल गांधी की न्याय यात्रा सोमवार को अमेठी पहुंची। उन्होंने करीब एक किलोमीटर की पदयात्रा की। इसके बाद जनसभा को संबोधित किया।

सपा ने अमेठी, रायबरेली समेत 17 सीट कांग्रेस को ऑफर की है
सपा ने कांग्रेस को प्रदेश की 17 सीटें ऑफर की हैं। हालांकि ये कौन सी सीटें होंगी इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। सूत्रों के मुताबिक, वाराणसी, गोरखपुर, महाराजगंज, प्रयागराज, झांसी, कुशीनगर, गाजियाबाद, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ और बांसगांव कांग्रेस को दी जा सकती है।

इससे 23 दिन पहले अखिलेश ने कांग्रेस को 11 सीट ऑफर की थी। अखिलेश ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा- कांग्रेस के साथ 11 मजबूत सीटों से हमारे सौहार्दपूर्ण गठबंधन की अच्छी शुरुआत हो रही है। ये सिलसिला जीत के समीकरण के साथ और भी आगे बढ़ेगा।

उन्होंने लिखा- इंडिया की टीम और PDA की रणनीति इतिहास बदल देगी। इससे पहले, सपा और रालोद में 7 सीट पर गठबंधन हुआ था। यानी, अब यूपी में इंडिया गठबंधन में सपा, कांग्रेस और रालोद के बीच सीटों पर सहमति बन गई है।

वहीं 19 फरवरी (सोमवार) को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा- हमने कांग्रेस को 17 सीट ऑफर की है, लेकिन अभी तक उनका जवाब नहीं आया है।” सपा अब तक 27 सीटों पर प्रत्याशी उतार चुकी है।

यूपी में I.N.D.I गठबंधन से कांग्रेस फायदे में
पिछले 5 लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यह साफ है कि यूपी में I.N.D.I गठबंधन होता है, तो अखिलेश के साथ आने से कांग्रेस ही फायदे में रहेगी। इस समय सिर्फ रायबरेली ही उसके पास है। यहां से खुद सोनिया गांधी सांसद हैं।

इसके अलावा अमेठी भी भाजपा कांग्रेस से छीन चुकी है। यहां से 2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया था। ऐसे में यूपी में अगर सपा से सीट शेयरिंग हुई तो कांग्रेस को उसके वोट बैंक का फायदा मिलेगा।

वैसे भी भाजपा का संगठन इस समय सबसे मजबूत स्थिति में है। रायबरेली में भी इस बार कांग्रेस के लिए आसान मुकाबला नहीं होने वाला। इसके अलावा बसपा काफी कमजोर स्थिति में है। सपा के साथ गठबंधन के चलते ही वह 2019 में 10 सीटें जीत सकी थी। विधानसभा में भी बसपा का सिर्फ एक विधायक है।

2019 में सपा ने रायबरेली और अमेठी से नहीं उतारा था कैंडिडेट
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था। इसके बावजूद अखिलेश ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। तब कांग्रेस ने सूबे की 80 में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर, 6.4% वोट शेयर के साथ केवल एक सीट रायबरेली ही जीत सकी थी।

इसके अलावा कांग्रेस तीन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। यहां तक कि तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी अमेठी की परंपरागत सीट भी नहीं बचा पाए थे।

यूपी में पिछले 3 चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन

  • 2009- कांग्रेस 69 सीटों पर चुनाव लड़ी और 21 जीती। सपा 75 पर लड़कर 23 और बसपा 69 पर लड़कर 20 सीटें जीती।
  • 2014- कांग्रेस 67 पर लड़कर सिर्फ दो सीट जीती। सपा 75 में 5 और बसपा 80 पर लड़ी और एक भी सीट नहीं जीत पाई।
  • 2019- सपा-बसपा का गठबंधन था। कांग्रेस 67 पर लड़ी और सिर्फ रायबरेली जीत पाई। सपा 37 पर लड़ी और 5 जीती। जबकि बसपा 38 पर लड़ी और 10 जीती। रामपुर और आजमगढ़ हारने के बाद सपा के अब सिर्फ तीन सांसद हैं।
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