आपका एम.पी

Basant Panchami 2022 : इस बार सिद्ध, साध्य और रवि योग की त्रिवेणी में मनेगी बसंत पंचमी

इस वर्ष ऋतुराज बंसत के आगमन का सूचक पर्व बसंत पंचमी 5 फरवरी शनिवार को मनाया जाएगा। इस खास मौके पर मंगलकारी और कार्य में सिद्धि देने वाले सिद्ध, साध्य और रवि योग के त्रिवेणी संयोग में ज्ञान की देवी सरस्वती का पूजन होगा। अबूझ मुहूर्त होने से शहरभर में एक हजार से अधिक वैवाहिक आयोजन होंगे। इसके साथ ही विद्यारंभ संस्कार होगा और मंदिर में माता सरस्वती का विशेष-श्रृंगार और पूजन किया जाएगा।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 फरवरी को तड़के 3.47 बजे से अगले दिन 6 को सुबह तड़के 3.46 बजे तक रहेगी। इस मौके पर सिद्ध योग 4 को शाम 7.11 से अगले दिन 5 को शाम 7.11 से शाम 5.42 बजे तक रहेगा। साध्य योग भी 5.43 से दिवस पर्यंत रहेगा। इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहा। यह संयोग दिन को मंगलकारी बना रहे हैं। इससे पहले 2 फरवरी को गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी।

बिना मुहूर्त कर सकते हैं शादी

बसंत पंचमी के दिन को दोष रहित दिन माना गया है। इसके चलते इसे स्वयं सिद्ध व अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इसके चलते इस दिन बड़ी संख्या में विवाह के आयोजन होते है।शादी विवाह के अलावा मुंडन संस्कार, यज्ञोपवित, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है।होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सूरी के अनुसार कोरोना प्रोटोकाल के पालन के साथ मुहूर्तों पर शादियां हो रही है। बसंत पंचमी पर एक हजार से अधिक वैवाहिक आयोजन होंगे।

विद्यारंभ के लिए श्रेष्ठ दिन

ज्योतिर्विद् एमके जैन ने बताया कि पौराणिक मान्यता के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन विद्यार्थियों के साथ लेखन का कार्य करने के लिए खास है।इस दिन को ज्ञान की देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस होने से मां सरस्वती की विशेष पूजा होती है।इसके चलते बच्चों का विद्यारंभ संस्कार किया जाता है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा कि वे ऋतुओं में बसंत है।छह ऋतुओं में बसंत ऋतुराज के रूप में प्रतिष्ठित है।इस अवसर पर प्रकृति नवीन स्वरूप धारण करती है।

षटतिला एकादशी पर होगा पापों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन

भगवान गणेश को तिल चतुर्थी पर तिल के लडड्ओं के भोग अर्पित करने के बाद अब भगवान विष्णु का तिल से पूजन से पापों से मुक्ति मिलेगी। अवसर 28 जनवरी को षटतिला एकादशी का होगा। इस अवसर पर एकादशी व्रत रखकर तिल से स्नान-पूजन के साथ सेवन करने से व्रतधारी को मनोवांछित फल की प्राप्ती होगी।ज्योतिर्विदों के मुताबिक माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 27 जनवरी गुरुवार को रात 2.16 बजे से 28 जनवरी शुक्रवार को रात 11.35 बजे तक रहेगी। एकादशी का पारणा 29 जनवरी को सुबह 7.11 से 9.20 बजे तक किया जा सकता है। ज्योतिर्विद् नीलकंठ बड़वे गुरुजी के अनुसार इस बार इसबार एकादशी माता लक्षमी के प्रिय दिन शुक्रवार को आने से माता लक्षमी की कृपा भी प्राप्त होगी। भगवान विष्णु और माता लक्षमी की प्रसन्नता एक दिन ही साथ मिलेगी।

https://www.highratecpm.com/npsxwf16?key=565d06ab35720384afe881c0e7364770