1 पेड़ के बदले भी ₹2378 करोड़ का प्रोजेक्ट नामंजूर
‘1 पेड़ के बदले भी 2378 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मंजूर नहीं है। ये प्लान कहीं भी बना, पेड़ जरूर कटेंगे, क्योंकि पूरा भोपाल हरा-भरा है और लाखों पेड़ लगे हैं। इसलिए सरकार पुराने बंगलों को ही संवारें।’
यह कहना है पर्यावरणविद् सुभाष सी. पांडे का। तुलसीनगर और शिवाजी नगर में मंत्री, विधायकों और अफसरों के बंगलों के लिए 29 हजार पेड़ों को काटने का निर्णय सरकार ने फिलहाल टाल दिया है।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयर्गीय ने खुद ट्वीट करके प्लान कैंसिल करने की जानकारी दी। इसके बाद पर्यावरणविद् और आमजनों ने राहत की सांस ली। वहीं, कांग्रेसियों ने भी ढोल-पटाखें फोड़कर मिठाई बांटी। कांग्रेस भी इस मुद्दे पर सड़क पर उतर चुकी है।
इस पूरे मामले में पर्यावरणविद् पांडे से बात की और पूछा कि क्या बंगलों के पेड़ों की कटाई जरूरी है? सरकार को बंगले बनाने ही है तो क्या करना चाहिए?
उन्होंने बताया- छत्तीसगढ़ जब मध्यप्रदेश का हिस्सा होता था, तब सवा 3 सौ से ज्यादा विधायक थे। मंत्री और अफसरों की संख्या भी ज्यादा थी। साल 2000 में छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग हो गया। तब 90 विधानसभाएं छत्तीसगढ़ के हिस्से में चली गई। ऐसे में मंत्री, विधायक और अफसरों के बंगले खाली हो जाए। इस आंकड़े के हिसाब से देखें तो भोपाल में ‘माननीयों’ के लिए पर्याप्त बंगले हैं। 2378 करोड़ रुपए की योजना की कोई जरूरत ही नहीं है।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह ट्वीट कर योजना कैंसिल करने दी जानकारी दी।
कई के पास एक से ज्यादा बंगले
पर्यावरणविद् पांडे ने बताया, भोपाल में कई मंत्री-विधायक ऐसे हैं, जिनके पास एक से ज्यादा बंगले हैं। इनकी जांच कराई जानी चाहिए। दूसरी ओर, जो बंगले जर्जर स्थिति में हैं, उन्हीं के लिए री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू हो सकता है। इससे कहीं अन्य जगह पर बंगले नहीं बनाने पड़ेंगे और पेड़ों की कटाई भी नहीं होगी।
उन्होंने बताया, अभी सरकार ने तुलसी नगर और शिवाजी नगर में बंगले बनाए जाने की योजना को कैंसिल किया है, लेकिन दूसरी जगह देखने की बात भी कही है। ऐसे में हमारी पूरे प्रोजेक्ट पर नजर रहेगी। यदि कहीं एक भी पेड़ कटा तो प्रदर्शन करेंगे।