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Bhopal News: पंद्रह साल बाद उपभोक्ता को मिला न्याय, बीमा कंपनी देगी आठ लाख रुपये हर्जाना

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एक उपभोक्ता ने बीमा कंपनी से क्लेम के लिए 15 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी, तब जाकर उसे न्याय मिला। उपभोक्ता के लकड़ी के डिपो में आग लग गई थी। डिपो का बीमा कराया गया था, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इंकार कर दिया। उपभोक्ता ने पहले जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका लगाई। वहां से उपभोक्ता के पक्ष में फैसला हुआ। इसके बाद बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी। वहां से भी उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय हुआ।

यह है मामला

बैतूल निवासी पुष्पा मिश्रा ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में 2007 में शिकायत की थी। 15 मई 2007 को उपभोक्ता के टिंबर मार्ट डिपो में आग लग गई थी। आग से क्षति का क्लेम बीमा कंपनी में प्रस्तुत किया तो कंपनी ने क्लेम की राशि नहीं दी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला आयोग ने फैसला सुनाया था कि उपभोक्ता को आग लगने से लकड़ी के स्टाक को हुई हानि की बीमा राशि 8,08,651 रुपये, मानसिक क्षतिपूर्ति राशि पांच हजार और वाद व्यय दो हजार रुपये दिए जाएं। इसके बाद 2010 में बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी। फैसला आयोग के सदस्य मोनिका मलिक व एसएस बंसल ने निर्णय सुनाते हुए जिला आयोग के फैसले को सही ठहराया। बीमा कंपनी का तर्क था कि उपभोक्ता ने आग में जलने के नुकसान के सर्वे के दस्तावेज जमा नहीं किए, इस कारण बीमा राशि नहीं दी गई। वहीं, उपभोक्ता ने अपना पक्ष रखा कि बीमा कंपनी द्वारा आग लगने को लेकर क्षति का जो आकलन किया गया था, वह करीब आठ लाख रुपये बताया गया था। सर्वेयर की रिपोर्ट भी पेश की थी। इसके बावजूद बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इन्कार कर दिया था। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज करते हुए क्लेम की राशि आठ लाख रुपये देने का आदेश दिया।

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