भोपाल आरटीओ के कर्मचारी 11 साल में भी ऑनलाइन सिस्टम पर काम शुरू नहीं कर पाए
एक और दो जुलाई को स्मार्ट चिप कंपनी ने काम बंद किया तो क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) का सारा कामकाज ही ठप हो गया। इसकी वजह आरटीओ के कर्मचारियाें को ऑनलाइन सिस्टम के अनुसार काम नहीं आना बताया। जबकि, 2013 में जब कंप्यूटराइजेशन और ऑनलाइन सिस्टम लागू किया गया तब स्मार्ट चिप कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गई थी। कंपनी को न सिर्फ सिस्टम को चलाना था, बल्कि आरटीओ के स्टाफ को इसका प्रशिक्षण भी देना था। लेकिन, 11 साल बाद भी आलम यह है कि स्मार्ट चिप कंपनी काम नहीं करे तो आरटीओ में कंप्यूटर से जुड़े ज्यादातर काम ठप हो जाते हैं। ऐसे में आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
दो दिन काम बंद किया तो लगी कतारें
स्मार्ट चिप कंपनी पर आरटीओ की निर्भरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि एक-दो जुलाई को कंपनी ने काम नहीं किया तो यहां सभी काम ही बंद हो गए। इसके बाद तीन जुलाई को कंपनी ने काम शुरू किया तो लंबी कतारें नजर आईं।
ये होना चाहिए था
कंपनी के साथ परिवहन विभाग ने 5 साल के लिए अनुबंध किया था। कंपनी को ऑनलाइन सिस्टम के लिए तकनीकी सपोर्ट व स्टाफ को इसका प्रशिक्षण भी देना था। स्मार्ट चिप कंपनी और आरटीओ के अधिकारियों की मानें तो कर्मचारियों के लिए कई बार प्रशिक्षण सत्र हुए। ज्यादातर कर्मचारियों को काम आता भी है पर वे काम करना ही नहीं चाहते हैं।
यह है हकीकत
हकीकत यह है कि कर्मचारियों को न सिर्फ ऑनलाइन सिस्टम पर बल्कि तकनीकी काम भी आता है। जब कंपनी ने काम बंद किया तो लाइसेंस शाखा के कर्मचारियों की ओर से 50 लोगों के फोटो खींचकर प्रोसेस भी किया था। ऐसे में स्टाफ की कमी को दूर करने की जरूरत है।
2021 से बार- बार बढ़ रहा कंपनी का कार्यकाल
स्मार्ट चिप कंपनी का पांच साल का कार्यकाल 2019 में खत्म हुआ। इसके बाद जरूरत का हवाला देकर पहले तीन साल के लिए कार्यकाल बढ़ाया गया था। लेकिन, 2021 के बाद से हर बार कभी तीन महीने तो कभी छह महीने के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है।
ऐसा नहीं है कि कर्मचारियों को ऑनलाइन सिस्टम पर काम नहीं आता। बल्कि, वे टेक्नीकल काम भी कर लेते हैं, स्मार्ट चिप के कर्मचारी नहीं आएंगे तो स्टाफ की कमी के कारण काम प्रभावित होता है।
जितेंद्र शर्मा, आरटीओ, भोपाल