भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में एमआरआई जांच को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अस्पताल प्रबंधन ने पीपीपी मोड पर चल रही एमआरआई एजेंसी को नोटिस देकर जगह खाली करने का आदेश दे दिया है। इसके बाद मामला और गरमा गया। एजेंसी का आरोप है कि प्रबंधन भुगतान रोककर नए-नए हथकंडे अपनाकर उन्हें बाहर करने की कोशिश कर रहा है, जबकि एग्रीमेंट की अवधि अभी खत्म नहीं हुई है। विवाद इतना बढ़ गया कि हमीदिया अस्पताल का 250 करोड़ का नया प्रोजेक्ट भी अटक गया है। अब मामला उच्च स्तर तक पहुंच गया है।
प्रबंधन और एजेंसी आमने-सामने वर्ष 2017 में एमपी फाल्गुनी निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को दस साल के लिए सीटी स्कैन और एमआरआई संचालन का ठेका मिला था। शर्तों के अनुसार मरीजों को बाजार दर से कम दर पर जांच सुविधा उपलब्ध करानी थी। जीएमसी प्रबंधन का कहना है कि कॉलेज में नई एमआरआई मशीन आ चुकी है, इसलिए पुरानी आउटसोर्स सेवाओं की आवश्यकता नहीं है। डीन डॉ. कविता एन. सिंह ने बताया कि मामला उच्च स्तर पर चर्चा में है। एजेंसी और प्रशासन की बैठकें हो रही हैं, जल्द समाधान निकलेगा।
एजेंसी का आरोप- भुगतान रोका, मरीज लौटाए कंपनी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जीएमसी प्रबंधन ने 2023 से भुगतान रोक रखा है। दो साल में सात करोड़ रुपए से ज्यादा का बिल बकाया है। रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने एमआरआई सेंटर से अपने डॉक्टर हटा लिए और रिपोर्टिंग बंद कर दी। आरोप यह भी है कि अस्पताल प्रशासन ने गार्ड तैनात कर मरीजों को रोकना शुरू कर दिया, जिससे सेंटर पूरी तरह से ठप हो गया।
एमपी फाल्गुनी निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के विशाल अग्रवाल का कहना है कि टेंडर 10 साल का था और अभी 2 साल बाकी हैं। ऐसे में वे तब तक जांच जारी रखने का अधिकार रखते हैं।
एक समस्या से अटका 250 करोड़ का प्रोजेक्ट इसी समस्या के चलते हमीदिया अस्पताल का 250 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट अटक गया है। इसमें 163 करोड़ का इन्फ्रास्ट्रक्चर और बाकी के इक्विपमेंट लगाए जाने हैं। दरअसल, अस्पताल के पुराने भवन की जगह पर 250 करोड़ की लागत से एक आधुनिक 11 मंजिला भवन तैयार किया जाना है।
इसका एक हिस्सा बन भी चुका है, लेकिन पुराने भवन के एक हिस्से को तोड़ा नहीं जा पा रहा है। वजह यह है कि वहीं पर आउटसोर्स एजेंसी सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करा रही है। जब तक एजेंसी जगह खाली नहीं करेगी, तब तक यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाएगा।