साइबर फ्रॉड रोकने केंद्र की पहल:खाते में फिल्टर लगाने की तैयारी; ट्रांजेक्शन होते ही अलर्ट जारी होगा
देश में सायबर फ्रॉड को रोकने के लिए केंद्र सरकार एक नई पहल करने जा रही है। इसके लिए बैंक, ई कॉर्मस और ई-वॉलेट कंपनियों के साथ मिलकर ऐसा सिस्टम तैयार करने पर काम किया जा रहा है, जिससे खाता धारक के खाते से किसी भी तरह से रुपए निकलने पर उसे अलर्ट जारी किया जा सके। इसके लिए एक फिल्टर लगाए जाने पर काम किया जा रहा है। यह जानकारी सोमवार को होटल पलाश में वर्कशॉप के दौरान सायबर एडीजी योगेश देशमुख ने दी। उन्होंने कहा कि आज की बैठक का मुख्य मुद्दा आपसी समन्वय को बेहतर बनने का रहा।सबसे पहले पुलिस से शिकायत करें एडीजी देशमुख ने कहा कि सायबर फ्रॉड होने पर तत्काल सायबर से शिकायत करना चाहिए। पीड़ित फ्रॉड होने के बाद सबसे पहले बैंक और कंपनी के चक्कर काटने लगता है। पीड़ित के सायबर सेल तक पहुंचते-पहुंचते देर हो जाती है। तब तक उसका पैसे का ट्रांजैक्शन हो चुका होता है। पीड़ित को एक्टिव होकर 24 घंटे के अंदर की इसकी शिकायत सभी जगह करना चाहिए। इससे रुपयों का ट्रांजैक्शन को रोकने में मदद मिलती है।खाता, मोबाइल और अन्य जानकारी शेयर नहीं करेंअब जब सभी ट्रांजैक्शन ऑनलाइन होने लगे हैं। अधिकांश लोगों के बैंक खाते मोबाइल फोन से जुड़ गए हैं। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होने के कारण लोगों को भी स्मार्ट होने की जरूरत है। मोबाइल फोन पर बैंक या ओटीपी संबंधी कोई भी जानकारी किसी से भी शेयर नहीं करें। मोबाइल फोन पर आए एसएमएस को हमेशा पूरी तर पढ़े और उसे गंभीरता से लें।कंपनी ने हाथ खड़े किएवर्कशॉप में ई-कॉमर्स और ई-वॉलेट कंपनियां शामिल हुईं। इनके पास ज्यादा अधिकार नहीं होते हैं। वर्कशॉप के दौरान ई-कॉमर्स और ई-वॉलेट कंपनियों ने कहा कि वे सिर्फ शिकायत मिलने पर ही पेमेंट रोकते हैं। सामान की खरीदी पर 24 घंटे के अंदर शिकायत मिलने पर उसे रोका जा सकता है, लेकिन पैसों के ट्रांजैक्शन होने पर उसे नहीं रोका जा सकता है। एक युवक ने सवाल किया कि मेरे साल फ्रॉड हुआ, मैंने कंपनी से जानकारी मांगी, लेकिन मेल-मेल खेलने में 2 से 3 दिन लग गए। तब तक तो ट्रांजैक्शन कहां से कहां पहुंच चुका होगा।