विशेष रिपोर्ट | न्यूज क्राइम फाइल
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) नलिन प्रभात की संपत्ति को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। एक ओर आतंकवाद से जूझता जम्मू-कश्मीर, दूसरी ओर उसी प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी के नाम पर — और उनके परिवारजनों के नाम पर — एक के बाद एक चौंकाने वाली करोड़ों की प्रॉपर्टी डील।
पहलगाम हमले की जांच और जमीन खरीद में अद्भुत टाइमिंग
नलिन प्रभात, 1992 बैच के आईपीएस अफसर हैं। उन्हें 15 अगस्त 2024 को जम्मू-कश्मीर पुलिस का स्पेशल डीजी और अक्टूबर 2024 में राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया। लेकिन इस बड़ी जिम्मेदारी के महज दो महीने बाद, 16 दिसंबर 2024 को उनकी पत्नी पूनम प्रभात और बेटे अहान प्रभात ने हिमाचल प्रदेश के मनाली में 8 बीघा ज़मीन खरीदी — कीमत 9.6 करोड़ रुपये।


सिर्फ स्टैम्प ड्यूटी 76 लाख रुपये और रजिस्ट्रेशन शुल्क 19 लाख — ये आंकड़े खुद में चीख-चीख कर बहुत कुछ कह रहे हैं। सबसे रोचक बात यह है कि जमीन की डिस्क्लोजर गृह मंत्रालय को नवंबर में ही दे दी गई, जबकि सौदा दिसंबर में हुआ। क्या ये पूर्व-नियोजित ‘ईमानदारी’ थी?

2023 में चंडीगढ़ में 26 करोड़ का बंगला
एक साल पहले यानी 2023 में, नलिन प्रभात ने चंडीगढ़ के सेक्टर-5 में एक पॉश बंगला खरीदा। इसकी कीमत — 26.23 करोड़ रुपये। काग़जों में बताया गया कि 33-33 प्रतिशत हिस्सेदारी नलिन, उनकी पत्नी और बेटे के नाम है। ये डील सुधीर ढींगरा नामक व्यक्ति से हुई और पैसे के स्रोत के रूप में दिल्ली के विजय बंसल से ‘एडवांस पेमेंट’ दिखाया गया — जो कथित रूप से मोहाली के जीरकपुर में तीन कृषि जमीनें खरीदने के बदले में दिया गया था।
इनमें से दो जमीनों को प्रभात ने पैतृक संपत्ति बताया है, जो उनके दादा डीएस मोही से मिली। पर विजय बंसल से उनका रिश्ता क्या है? और एक आम कारोबारी इतनी बड़ी रकम किस भरोसे पर दे देता है? ये प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं।
इंटीरियर पर 1.8 करोड़ का खर्च और ‘सिर्फ’ 2.24 लाख रुपये की सैलरी?
सिर्फ बंगला ही नहीं, उस पर 1.8 करोड़ रुपये की सजावट भी करवाई गई। ये सब उस समय हुआ जब प्रभात कश्मीर में आतंकवाद से मोर्चा ले रहे थे। अब सवाल यह भी है — क्या आतंक से लड़ते-लड़ते फुर्सत मिलती है इतनी ‘होम डेकोरेशन’ की योजनाओं के लिए?
प्रॉपर्टी की लंबी फेहरिस्त — ‘साधारण’ जीवनशैली के उदाहरण?
• 2021 में मां अर्चना मोही से 2.35 करोड़ रुपये की ज़मीन
• 2013 में 37 लाख का फ्लैट
• 2015 में पिता से विरासत में मिला 9 करोड़ का बंगला
• आंध्र प्रदेश के गुंटूर में 25 लाख का मकान
इन सबके बावजूद, उनकी घोषित मासिक आय सिर्फ ₹2,24,100 है। सवाल यह नहीं कि संपत्ति क्यों है — सवाल यह है कि आखिर पैसा कहां से आ रहा है?
कोई जवाब नहीं, सिर्फ चुप्पी
जब ‘द न्यू इंडियन’ ने इन सवालों को लेकर नलिन प्रभात से संपर्क किया, तो कोई जवाब नहीं मिला। और शायद मिलेगा भी नहीं। जो जवाबदेही जनता उम्मीद करती है, वह अक्सर ‘सिस्टम’ के ऊंचे ओहदों पर जाकर खो जाती है।
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जब एक राज्य का डीजीपी — जो आतंकवाद, अलगाववाद और नफरत के खिलाफ लड़ाई का चेहरा होना चाहिए — खुद सवालों के घेरे में हो, तब सबसे बड़ा सवाल यह है कि किस पर भरोसा करें? और जब ईमानदारी को घोषणापत्र में डालने के बजाय पहले ही संपत्ति की योजना बना ली जाए, तब समझ जाइए — असली लड़ाई अब सिर्फ घाटी में नहीं, नीति और नीयत के बीच भी है।