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13 साल से बिना लाइसेंस चल रही पटाखा फैक्टरी में विस्फोट, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

छतरपुर, मध्य प्रदेश: छतरपुर जिले के हरपालपुर नगर में स्थित एक अवैध पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट के बाद कई नए खुलासे सामने आ रहे हैं। यह फैक्टरी साल 2011 से बिना लाइसेंस के संचालित हो रही थी, और विस्फोट के समय कई मजदूर वहां काम कर रहे थे। पुलिस और प्रशासन की जांच में खुलासा हुआ कि यह फैक्टरी शहर के बीचों-बीच एक घनी आबादी वाले इलाके में स्थित थी, जहां विस्फोटक सामग्री का निर्माण अवैध रूप से जारी था। इस घटना ने स्थानीय निवासियों और अधिकारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है।

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शॉर्ट सर्किट से हुआ था विस्फोट

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि विस्फोट का कारण शॉर्ट सर्किट था। घटना के समय फैक्टरी में कई मजदूर काम कर रहे थे, और विस्फोट की वजह से चारों तरफ अफरातफरी मच गई। फैक्टरी के पास स्थित घरों में भी धमाके की आवाज सुनाई दी, जिससे स्थानीय लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे।

लाइसेंस 2011 में निरस्त, फिर भी चलता रहा काम

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पटाखा फैक्टरी का लाइसेंस 2011 में निरस्त कर दिया गया था, फिर भी इसमें उत्पादन कैसे चल रहा था? स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई जांच में फैक्टरी से बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि फैक्टरी में अवैध रूप से पटाखों का निर्माण किया जा रहा था, और यह मामला अब जिला प्रशासन और बम निष्क्रिय दस्ते (BDS) के हवाले कर दिया गया है, जो जांच करेगी कि विस्फोटक सामग्री में किस प्रकार के रसायन का उपयोग किया गया था।

पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

विस्फोट के बाद पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हरपालपुर पुलिस ने इस अवैध फैक्टरी को ‘पटाखा गोदाम’ बताकर मामले को हल्का करने की कोशिश की। जबकि फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर इसे पटाखा निर्माण इकाई बता रहे हैं। पुलिस ने फैक्टरी के मालिक पुरुषोत्तम और सियाशरन के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम की मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिससे स्थानीय निवासियों में रोष व्याप्त है। लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि पुलिस ने मामले को दबाने का प्रयास क्यों किया और इसे सिर्फ गोदाम क्यों बताया।

हरदा में भी हुआ था बड़ा हादसा

यह पहली बार नहीं है कि मध्य प्रदेश में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट हुआ हो। इसके पहले हरदा जिले के बैरागढ़ में भी एक बड़ा हादसा हुआ था, जहां एक पटाखा फैक्टरी में भीषण विस्फोट हुआ था। उस धमाके की आवाज लगभग 20 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी थी, और इस दुर्घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 74 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस हादसे ने कई घरों को भी अपनी चपेट में ले लिया था, जिससे वहां आग लग गई थी।

स्थानीय प्रशासन और लोगों की मांग

छतरपुर की घटना ने एक बार फिर से पटाखा फैक्टरियों पर कड़ी निगरानी की जरूरत को उजागर किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई की होती, तो इस तरह का हादसा टल सकता था। वे दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में पारदर्शिता से काम करेगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

निष्कर्ष: छतरपुर के हरपालपुर में हुई इस त्रासदी ने न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे अवैध फैक्टरियां जानलेवा साबित हो सकती हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।

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