Sunday, August 3, 2025
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ओला इलेक्ट्रिक को तगड़ा झटका देते हुए पूरा पैसा लौटाने का आदेश दे दिया है।

जिस स्कूटर को कंपनी ने भविष्य की सवारी बताकर बेचा, वह उपभोक्ता के लिए रोजमर्रा की परेशानी बन गया। बार-बार खराबी से तंग आकर उपभोक्ता ने उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज कराया और आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक को तगड़ा झटका देते हुए पूरा पैसा लौटाने का आदेश दे दिया है।

भोपाल जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने यह फैसला देते हुए कहा कि उपभोक्ता को स्कूटर की पूरी कीमत 1.78 लाख रुपए ब्याज सहित लौटाई जाए। साथ ही मानसिक कष्ट के लिए 5 हजार और वाद व्यय के लिए 3 हजार रुपए अलग से अदा किए जाएं। यह आदेश आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय की पीठ ने सुनाया।

गोविंदपुरा निवासी आकाश साहू और उनकी पत्नी सुशीला थापा ने 18 जुलाई 2023 को रायसेन रोड स्थित ओला स्टोर से ओला एस-1 प्रो (प्रथम जनरेशन) खरीदा था। कंपनी ने इसे की-लेस स्टार्ट, मोबाइल ऐप से ट्रैकिंग, बैटरी स्टेटस, फास्ट सर्विस और तीन साल की वारंटी जैसी सुविधाओं से लैस बताया था। लेकिन स्कूटर की कहानी खरीद के कुछ ही दिनों बाद बदलने लगी, स्क्रीन बार-बार हैंग होने लगी, स्टार्ट नहीं होता, वाई-फाई और ब्लूटूथ कनेक्टिविटी फेल, सड़क पर बंद होकर खड़ा हो जाता था। रोड साइड असिस्टेंस के दावे भी हवा हो गए, क्योंकि उपभोक्ता को खुद ही स्कूटर सर्विस सेंटर तक घसीट कर ले जाना पड़ता था। बता दें कि इस केस में को अधिवक्ता आकाश साहू ने ही अपना पक्ष आयोग के सामने रखा था।

95% चार्ज के बाद भी नहीं हुआ स्टार्ट एक बार स्कूटर बंद हो गया और आयोग द्वारा नियुक्त टीम की निगरानी में उसे चालू करने की तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन वह स्टार्ट ही नहीं हुआ। बैटरी 95% चार्ज दिखा रही थी, फिर भी स्कूटर बंद पड़ा रहा। यह आयोग के लिए बड़ा संकेत था कि तकनीकी स्तर पर वाहन भरोसे के लायक नहीं है।

कंपनी की सफाई भी नहीं बचा पाई ओला ने जवाब में कहा कि उन्होंने सभी शिकायतों का समाधान किया, स्क्रीन भी बदली गई और कोई निर्माण खामी नहीं है। लेकिन आयोग ने माना कि ग्राहक को जॉबकार्ड जैसी जरूरी जानकारी तक नहीं दी गई, और बार-बार की खामियां इस बात का संकेत हैं कि वाहन में बुनियादी तकनीकी कमी थी।

आयोग ने सुनाया ये आदेश

  • ओला कंपनी स्कूटर वापस लेकर ₹1,78,100 की राशि 9% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाए।
  • मानसिक परेशानी के लिए ₹5,000 और मुकदमा खर्च के लिए ₹3,000 अतिरिक्त दे।
  • सभी भुगतान आदेश प्राप्ति के दो महीने के भीतर किए जाएं, वरना ब्याज जारी रहेगा।

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