यूनिफॉर्म, बुक्स के लिए दबाव डाला तो मान्यता होगी रद्द
भोपाल के किसी भी स्कूल ने पेरेंट्स पर यूनिफॉर्म या बुक्स के लिए दबाव डाला तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। स्कूल संचालक, प्राचार्य के खिलाफ भी केस दर्ज किया जाएगा। नए शिक्षा सत्र के 6 महीने पहले भोपाल में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) नरेंद्र कुमार अहिरवार ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह भी अगले शिक्षा सत्र के लिए निर्देश जारी कर चुके हैं।
डीईओ ने बताया, ‘सभी प्राइवेट स्कूल (एमपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई) के प्रिंसिपल को निर्देश जारी किए गए हैं। उन्हें कहा गया है कि वे पेरेंट्स को किसी एक दुकान से बुक्स, यूनिफॉर्म और दूसरी चीजें खरीदने के लिए मजबूर न करें। शिकायत मिलने पर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी। सीबीएसई और आईसीएसई की मान्यता रद्द करने के लिए प्रस्ताव बनाएंगे।’
स्कूल संचालकों के लिए गाइडलाइन
- अगले शिक्षण सत्र से पहले किताब के लेखक और प्रकाशक के नाम, मूल्य के साथ क्लावाइस पुस्तक और यूनिफॉर्म विक्रेताओं की लिस्ट स्कूल के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना होगी।
- किसी भी तरह की शिक्षण सामग्री पर स्कूल का नाम नहीं होना चाहिए। स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लिखना होगा कि शिक्षण सामग्री कहां मिलेगी।
- किताबों के अलावा यूनिफॉर्म, टाई, जूते, कॉपियां आदि भी उन्हीं की शालाओं से उपलब्ध या विक्रय कराने का प्रयास नहीं किया जाएगा।
- स्कूल की स्टेशनरी या यूनिफॉर्म पर स्कूल का नाम प्रिंट कराकर दुकानों से नहीं बेचा जाएगा।
- स्कूल की स्टेशनरी या यूनिफॉर्म पर स्कूल का नाम प्रिंट कराकर दुकानों से नहीं बेचा जाएगा।
- एक विशेष दुकान से सामग्री बेचना प्रतिबंधित किया गया है।
इसलिए पड़ी जरूरत यूनिफॉर्म हो या बुक्स या फिर किसी भी प्रकार की स्टेशनरी, अभिभावकों को मनमानी कीमत चुकानी पड़ रही है। पहली से आठवीं तक की किताबों के सेट 2500 से 6000 रुपए तक मिलते हैं। यदि पेरेंट्स दूसरी दुकानों पर जाते हैं तो वहां नहीं मिल पाती। ऐसा ही यूनिफॉर्म को लेकर भी है। स्कूल का लोगो लगी यूनिफॉर्म निर्धारित दुकानों से ही मिलती है। बेल्ट, टाई भी पेरेंट्स मनमाने दाम पर खरीदने को मजबूर होते हैं। इस बार छह महीने पहले आदेश जारी करने का मकसद यह है कि पेरेंट्स को कोई दिक्कते न हो। साथ ही स्कूल और बुक्स दुकान संचालकों की मनमानी पर भी रोक लग सके।
छह महीने पहले कार्रवाई कर चुका प्रशासन प्राइवेट स्कूलों की मोनोपोली में ब्रेक लगाने के लिए इस साल जिला प्रशासन कई स्कूल और बुक्स की दुकानों पर नकेल कस चुका है। छह महीने पहले एमपी नगर समेत कई इलाकों में कार्रवाई की गई थी।