विधानसभा सत्र को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने किया ट्वीट
मप्र के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा के शीत सत्र को पूरा चलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और सीएम डॉ मोहन यादव को ऐसी व्यवस्था करना चाहिए कि सत्र अपने पूरे समय तक चले। विधायकों को अपनी बात रखने का पर्याप्त समय दिया जाए। जब विधायक सदन में अपनी बात रख सकेंगे, तभी विधानसभा सत्रों की सार्थकता भी साबित होगी। बता दें कि मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसम्बर से शुरू होने वाला है।
मंगलवार को सिंघार ने एक्स पर किए गए ट्वीट के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष और सीएम मोहन यादव को इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। सिंघार ने लिखा- अध्यक्ष ऐसे इंतजाम करें कि सत्र अपना कार्यकाल पूरा करे। बीजेपी के 20 साल के राज में विधानसभा के ज्यादातर सत्र कई दिनों के बजाए घंटों में निपट गए। साल भर में बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र मिलाकर कम से कम 60 दिन विधानसभा चलना चाहिए। लेकिन ये 15-20 दिन ही चल पा रहे हैं।
सरकार जनता के मुद्दों से भागती है
सिंघार ने कहा कि एमपी की बीजेपी सरकार हमेशा जनता के मुद्दों से भागती रही है। यही वजह है कि हर बार किसी न किसी बहाने से सत्र खत्म कर दिया जाता है। ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी एमएलए को अपनी बात कहने का पर्याप्त समय दे। ये जनता के प्रति उनकी जवाबदेही भी है। जनता के सवाल बढ़ रहे हैं और सत्रों की अवधि घटती जा रही है। क्षेत्र की समस्याओं पर सदन में चर्चा कम ही होती है। इससे जनता में संतुष्टि का भाव नहीं आता।
खाद संकट को लेकर भी किया ट्वीट, अफसरों के पैरों में गिर रहे पर खाद नहीं पा रहे किसान
सिंघार ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि सरकार की हठधर्मिता से किसान परेशान हैं। खाद के लिए अफसरों के पैरों में गिर रहे। गेहूं और चने की बोनी का समय आ गया पर सरकार किसानों के लिए डीएपी खाद का इंतजाम नहीं कर पा रही। नर्मदापुरम, मैहर और जबलपुर समेत कई इलाकों के किसान खाद के लिए रात-रातभर जागने को मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि अफसर उनकी परेशानी नहीं समझ रहे। ना सही बात बताते हैं। मौन बाबू तो किसानों के बड़े हितैषी बनते हैं, फिर क्या उनकी ये पीड़ा आपको समझ नहीं आ रही? किसानों को समय पर खाद नहीं मिलेगी, तो बोनी कैसे होगी? केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर सिंघार ने लिखा कि आप तो अब दिल्ली में कृषि मंत्री की कुर्सी पर आसीन हैं, क्या आपको भी किसानों का क्रंदन सुनाई नहीं दे रहा?