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MP High Court अवर सचिव आदेश का पालन करें या हाई कोर्ट चले आएं, सख्त निर्देश

प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत ने बार-बार मोहलत के बावजूद मनमानी जारी रखने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसके तहत सख्ती बरतते हुए हर हाल में आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न होने की सूरत में परिणाम भुगतने तैयार रहने की ताकीद दी गई है। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो आला अधिकारी को हाजिर होकर जवाब पेश करना होगा। अवमानना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाई कोर्ट ने एसीआर में गलत ग्रेडिंग के मामले में राजस्व विभाग को नायब तहसीलदार की ओरीजनल फाइल पेश करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने ताकीद दी है कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो राजस्व विभाग के अवर सचिव को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा। मामले पर अगली सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित की गई है।

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याचिकाकर्ता कटनी में पदस्थ महेन्द्र कुमार द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता महेन्द्र पटेरिया, सुभाष चतुर्वेदी और बृजेश चौबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता को पांच अगस्त, 1997 से प्रमोशन का लाभ मिलना था, लेकिन उसकी एसीआर ग्रेडिंग के अंकों की गलत गणना के कारण उसे यह लाभ नहीं दिया गया। प्रमोशन इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया गया कि उसे केवल 60 अंक मिले हैं, जबकि असलियत में उसे कुल 133 अंक मिले हैं। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में विभाग को अभ्यावेदन भी दिया था, लेकिन उसे लंबित रखा रहा गया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिका दायर करने के बाद अवर सचिव ने माना कि ग्रेडिंग की गणना में गलती हुई है, इसलिए प्रमोशन रिजेक्ट किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओरीजनल फाइल पेश करने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस तरह याचिकाकर्ता को परेशान करना अनुचित है। जिम्मेदार विभागों को हाई कोर्ट के आदेश को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया जाना बेहद चिंताजनक है।

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