E paperआपका एम.पीटॉप-न्यूज़भ्रस्टाचारमध्य प्रदेश पुलिसराजनीती

आवरण कथा परिवहन मंत्री के जिले सागर में फलफूल रहा है फर्जी आरसी का गोरखधंधा

उदय प्रताप सिंह चौहान
-दूसरे राज्यों से चोरी की गाड़ियों का नंबर बदलने का खेल
-परिवहन विभाग जारी करता है मध्य प्रदेश नंबर की आरसी
-सागर में आरटीओ की साठगांठ से चेसिस नंबर भी बदल रहे है
-चोरी का गाड़ियों को फर्जी आधार कार्ड पेनकॉर्ड और ऋण पुस्तिका दिखा कर किया जाता है ट्रांस्फर
-सागर परिवहन अधिकारी की छत्रछाया में फलफूल रहा है सारा गोरखधंधा
-डंपर, जेबीसी, हाईफा, पोपलेन, ट्रेक्टर और एसयूवी के फर्जी आरसी बनाए जाने का गोरखधंधा.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

इंट्रो…..मध्य प्रदेश चोरी की गाड़ियों का स्वर्ग बनता जा रहा है। देशभर के अनेक राज्यों से चोरी करके लाई गई गाड़ियों को परिवहन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ट्रांस्फर किया जा रहा है और उन्हें मध्य प्रदेश नंबर भी अलॉट किया जा रहा है। न्यूज क्राइम फाइल के पास ऐसे एक दर्जन से अधिक मामले है जिन्हें सागर परिवहन अधिकारी ने फर्जी कागजों के आधार पर ट्रांस्फर किया और उन्हें नया नंबर जारी कर दिया गया। जब इस बारे में परिवहन विभाग के कर्मचारियों से बात की गई तो उनका सीधा जवाब था जब कुछ नियमों के आधार पर हो रहा है।…….
विदिशा के बासौदा कस्बे के देहात थाना क्षेत्र में 9 फरवरी को पुलिस ने चोरी के तीन वाहनों को पकड़ा। पकड़े गए वाहनों में मारुति अल्टो काल संख्या एमपी- 40 सीए 4405, महिन्द्रा ट्रेक्टर बिना नंबर प्लेट एक अन्य ट्रेक्टर न्यू हॉलेंड संख्या एमपी-40 एए 7384 को जब्त किया। चोरी के वाहनों के साथ पुलिस ने रविन्द्र यादव और मुकेश राजपूत को भी दबोचा। दरअसर बासौदा पुलिस को मुखबिर के मार्फत सूचना मिली थी कि वाहन चोर चोरी क वाहन लेकर जा रहे है अगर उन्हें नहीं पकड़ा गया तो वह सागर जाकर वाहनों के चेसिस नंबर बदल कर वहां से नया पंजीकरण नंबर हासिल कर चोरी के वाहनों को नया वाहन बना कर बेच देंगे। पकड़ गए दोनों अभियुक्तों की सागर परिवहन विभाग में गहरी घुसपैठ है यह दोनों चोरी के वाहनों के नंबर बदलने के साथ ही फर्जी कागजात तैयार करने, फर्जी फाइनेंस कराने, फर्जी आरसी बनाने और फर्जी चेसिस नंबर बदल कर सागर जिले से नए पंजीकरण हासिल करने के माहिर खिलाड़ी है। पुलिस की गिरफ्तर में आए दोनों अभियुक्तों के तार देशभर में चोरी के वाहन बेचने वाले माफियाओं से जुड़े हुए है। चोरी के वाहनों के साथ दबोचे गए मुजरिमों को पकड़ने के लिए बासौदा देहान थाने के प्रभारी कुंवर सिंह मुकाती लंबे समय से कांम कर रहे थे उन्होंने उपनिरिक्षक महेन्द्र शाक्य, सहायक उपनिरिक्षक शिवप्रसाद विश्वकर्मा. सहायक निरिक्षक केशरी प्रसाद शर्मा, सिपाही वीरेन्द्र परमार, वीरेन्द्र लोधी, विपिन सिंह जादौन, पवन जैन (साइबर सैल) प्रमेन्द्र नामदेव, सौरभ,ऋषभ भूपेन्द्र शर्मा, दिलीप शर्मा, शिशुपाल सिंह दांगी, नीरेश बघेल, सुरेन्द्र कटियार और प्रगति रोशनी राजपूत की एक टीम बनाई और विदिशा में चोरी के वाहनों का धंधा करने वालों को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। 9 फरवरी को दोनों अभियुक्त चोरी के वाहनों को विदिशा से बाहर ले जाने की योजना बना रहे थे जिसके बाद पुलिस ने मौके पर जाकर दोनों को चोरी के वाहनों के साथ दबोच लिया। दोनों अभियुक्त लंबे अरसे चोरी के वाहनों का गोरखधंधा कर रहे थे। इतना ही नहीं पूर्वोत्तर के राज्यों से चोरी के डंपर और ट्रक लाकर पूर्वोत्तर के राज्यों की फर्जी आरसी लाकर सागर जिले के परिवहन विभाग से नया नंबर हासिल कर चोरी के वाहन को असली बना कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे थे।
न्यूज क्राइम फाइल के पास इस बात की पुख्ता जानकारी ही कि किस तरह से सागर परिवहन विभाग में परिवहन मंत्री की नाक के नीचे फर्जी आरसी बना कर नया नंबर लेने का गोरखधंधा पनप रहा है। मगर मध्य प्रदेश परिवहन विभाग विभाग के अधिकारियों पर किसी का बस नहीं चल पा रहा है। राज्यभर में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने फर्जी कागजातों के आधार पर इस तरह के गैंग को पनाह देने के काम शुरू कर रखा है जो चोरी की गाड़ियों को लाकर मध्य़ प्रदेश मं नया नंबर हासिल कर लेते है। मध्य प्रदेश का सागर जिला फर्जी आरसी के धंधे में सबसे अव्वल है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों से वाहन माफिया चोरी की गाड़ियों को लेकर सागर पहुंचते है। यहां उन गाड़ियों का चेसिस नंबर बदल कर फर्जी आरसी के माध्यम से मध्य प्रदेश का नंबर हासिल कर गाड़ी को वैध करने का काम किया जा रहा है।सागर में जेबीसी, हाईफो, डंपर, एसयूवी और ट्रेक्टर के चेसिस नंबर बदल कर हालिस किया जा रहा है नया रजिस्ट्रेशन नंबर। मध्य प्रदेश के सागर, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित कई जिलों में फैला है फर्जी आरसी के मार्फत नया नंबर लेने का गोरखधंधा। परिवहन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से दलाल और माफिया उडा रहे है खुलेआम कानून का मखौल सारे मामले पर परिवहन मंत्री की चुप्पी से राजनीतिक हलको में हो रही है हलचल।
परिवहन माफियाओं को सागर परिवहन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है। माफियाओं का गैंग बड़े सुव्यवस्थित तरीके से काम कर रहा है। पहले पूर्वोत्तर के राज्यों से बड़ी गाड़ियों की चोरी की जाती है फिर उनकी फर्जी आरसी बना कर मध्य प्रदेश में लाया जाता है। इस फर्जी आरसी में वाहन के मूल चेसिस नंबर को बदल कर नया चेसिस नंबर अंकित कर दिया जाता है। सागर में कई वाहन वर्कशॉप में मिस्त्री हथौड़े छेनी की मदद से नया चेसिस नंबर अंकित कर देते है और पुराना चेसिस नंबर मिटा देते है। इसके बाद वाहन को ट्रांस्फर कराने के लिए फर्जी आधार कॉर्ड, फर्जी पेन कॉर्ड और फर्जी भूलेख पुस्तिका भी तैयार की जाती है। सभी कागजात ऐसे प्रतित होते है जैसे वास्तविक हो। इमन सभी फर्जी कागजात के माध्यम से सागर आरटीओ ऑफिस में नया पंजीकरण हासिल कर लिया जाता है और मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग को लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगा दिया जाता है। दिलचस्प बात यह हैं कि इस गोरखधंधे की खबर सागर में परिवहन विभाग के सभी छोटे बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को है मगर सबका शुल्क निर्धारित है लिहाजा कोई मुंह नहीं खोलता।
न्यूज क्राइम फाइल के पास इस तरह के दर्जनों फर्जी कागजात है। ट्रक संख्या एमएन 03 डी 0208 को किस तरह से फर्जी आधार पर ट्रांस्फर कराया गया इसका समस्त विवरण न्यूज क्राइम फाइल के पास है। इसी तरह जीतेंद्र रघुवंशी एवं अशोक अहिरवार के नाम से फर्जी आधार कॉर्ड बनाए गए। वाहन ट्रांस्फर करने के लिए मुन्नालाल अहिरवार नाम का फर्जी आधार कॉर्ड बनाया गया। अशोक अहिरवार का फर्जी पेन कॉर्ड और मसूद अली के नाम से फर्जी ऋण पुस्तिका बना कर वाहनों को ट्रांस्फर करवाने का काम दलालों के व्दारा धड़ल्ले के साथ किया जा रहा है। इस सारे गोरखधंधे का मास्टर माइंड विदिशा का मुकेश और विजय रघुवंशी है जो पूर्वोत्तर के राज्यों से चोरी करके लाई गई गाड़ियों को सागर परिवहन विभाग के माध्यम से ट्रास्फर कराने के नाम पर मोटी फीस वसूलता है।
मध्य प्रदेश के कई जिलों में परिवहन विभाग के दलालों के माध्यम से यह गोरखधंधा खूब फल फूल रहा है। न्यूज क्राइम फाइल को मिली जानकारी के मुताबिक इस सारे नेटवर्क के पीछे विदिशा, भोपाल, सागर और ग्वालियर के कई बड़े माफिया है जो पूर्वात्तर के राज्यों से चोरी के डंपरों को खरीद कर उन पर मध्य प्रदेश का पंजीकरण हासिल कर लेते है। इस संबंध में न्यूज क्राइम फाइल ने जब परिवहन विभाग के एक आलाधिकारी से सवाल किया तो उन्होंने बहुत चौकाने वाली जानकारी दी। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि दरअसल मध्य प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस से परिवहन मंत्री को हर माह एक मोटी रकम पहुंचाने का काम किया जाता है। कोई भी अधिकारी अपने वेतन से इस रकम को नहीं पहुंचा सकता लिहाजा जो भी काला सफेद काम आता है परिवहन विभाग के अधिकारी आंख मूंद कर उसे पूरा करते है। उक्त अधिकारी का कहना हैं कि राज्य के परिवहन मंत्री के मध्य प्रदेश के संपूर्ण परिवहन विभाग को चोरी का सबसे बड़ा अड्डा बना दिया। परिवहन विभाग में आज तक इतने संगीन कामकाज नहीं हुए जितने इन दिनों हो रहे है। उनका कहना हैं कि परिवहन मंत्री की जानकारी में हर मामला है मगर उन्होंने भी सभी तरफ से आंख बंद कर रखी है। परिवहन मंत्री के छोड़े गए दलाल हर माह आरटीओ ऑफिस से तयशुदा रकम लेकर जाते है।
चोरी के वाहनों को फर्जी तरीके से मध्य प्रदेश का नंबर जारी करना एक बड़ा अपराध है। देश के किसी भी राज्य से कोई वाहन अगर वैध तरीके से खरीद कर लाया जाता है तो उसकी आरसी के वास्तविक होने की पुष्टि परिवहन विभाग व्दारा की जाती है। मगर सागर परिवहन विभाग ने आज तक ट्रांस्फर किए गए वाहनों की मूल आरसी की पुष्टि उसके राज्य से नहीं की। यहां यह गोऱखधंधा एक दशक से चल रहा है मगर बीते चार वर्षों में इस काम में खासी गति देखी गई है। परिवहन विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि राज्य में 30 फीसदी से ज्यादा डंबर फर्जी आधार पर राज्य में ट्रांस्फर किए गए है। मगर किसी को भी इनकी जांच पड़ताल का तनिक भी ख्याल नहीं है।
इस संबंध में न्यूज क्राइम फाइल को जो जानकारी मिली है उसके साथ अनेक फर्जी कागजात एवं वाहनों की फर्जी आरसी की प्रतिलिपि भी प्राप्त हुई है। इस खबर के बारे में सागर के परिवहन विभाग के शीर्ष अधिकारी से जब संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन पर बात करने से इंकार कर दिया। जबकि परिवहन विभाग के अन्य कर्मचारियों ने इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।

https://www.highratecpm.com/npsxwf16?key=565d06ab35720384afe881c0e7364770