बड़े बड़ों को उंगलियों पर नचाने वाला परिवहन विभाग का सत्यप्रकाश, पुलिस की गिरफ्त से फरार
परिवहन विभाग का कुबेर कहे जाने वाला सत्य प्रकाश शर्मा बेनकाब होता दिख रहा है
कई परिवहन आयुक्त को अपने झांसे में लेकर और बाद में उनको ब्लैकमेल कर अपने काम निकलवाने वाला बाबू आखिर कैसे पहुंचा आईपीएस आईएएस आईपीएस के करीब
पीए सत्यप्रकाश की तलाश, पीए की पत्नी ने की शिकायत पति को मानसिक प्रताड़ना दी जा रही
मानव अधिकार आयोग में की गई है शिकायत
अभी तक नहीं हुआ सस्पेंड
2018 के कांग्रेस कार्यकाल में भी सत्य प्रकाश शर्मा आयुक्तों के पिए थे।
वही कांग्रेस कार्यकाल में भी गोविंद सिंह राजपूत जी परिवहन मंत्री थे और जब वे भाजपा में शामिल हुए तब भी वे परिवहन मंत्री के पद पर कायम है।
भूपेंद्र सिंह के ओएसडी सेंगर को सत्य प्रकाश शर्मा ने अपने काम निकलवाने के लिए अपना करीबी बना लिया और उनको सारी चीज है उपलब्ध कराने लगा…..
सत्य प्रकाश शर्मा ने संजय श्रीवास्तव की मदद से जगदीश छींके आरटीआई से चेकपोस्ट मंथली देने लगे थे।
इस मामले में पीए का नाम उछलने और अपने ही परिवहन आयुक्त और परिवहन मंत्री के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा भेजने और एफआईआर में नाम आने के बाद सस्पेंड की कार्रवाई होनी थी, लेकिन परिवहन विभाग को अभी तक पुलिस की रिपोर्ट नहीं मिली है जिस कारण पीए का सस्पेंड होना अटका हुआ है।
परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और आयुक्त मुकेश जैन पर 50 करोड की वसूली की झूठी शिकायतें करने का सरगना विभाग का ही बाबू सत्यप्रकाश शर्मा निकला। ग्वालियर की क्राइम ब्रांच पुलिस ने मामले की तहकीकात के बाद सत्य प्रकाश के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली है। ग्वालियर के धर्मवीर यादव के नाम से मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और आयुक्त मुकेश जैन के खिलाफ पोस्ट ऑफिस से पोस्ट की गई 9 शिकायतों को करने वाला दरअसल विभाग का ही बाबू सत्य प्रकाश शर्मा निकला।
सत्यप्रकाश ने अपने निजी ड्राइवर के माध्यम से यह शिकायतें पोस्ट कराई थी और शिकायतकर्ता की जगह धर्मवीर यादव का नाम लिख दिया था। जब जानकारी धर्मवीर यादव को हुई तो उन्होंने पुलिस को इस बात की जानकारी दी और ग्वालियर की क्राइम ब्रांच पुलिस ने मामले की तहकीकात की। दरअसल सत्य प्रकाश शर्मा विभाग में बाबू के रूप में भर्ती हुआ था और चुनिंदा अधिकारियों की मेहरबानी के चलते तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता गया। एक समय था जब विभाग में सत्य प्रकाश शर्मा की तूती बोलती थी और विभिन्न ट्रांसफर पोस्टिंग कराने में बताया जाता है कि उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। लेकिन वर्तमान परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के पास जब सत्य प्रकाश शर्मा की शिकायतें पहुंची तो उन्होंने उसे न केवल उनके पद से हटा दिया बल्कि कार्यकाल की जांच भी करानी शुरू कर दी। लेकिन सत्य प्रकाश के हौसले इस कदर बुलंद थे कि उसने सीधे परिवहन आयुक्त के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। बताया जा रहा है कि विभाग के ही कुछ पूर्व आला अधिकारियों का संरक्षण सत्य प्रकाश पर है और उन्हीं के इशारे पर परिवहन मंत्री और आयुक्त के खिलाफ शिकायतें कर रहा था। फिलहाल पुलिस ने सत्य प्रकाश के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली है और उसकी तलाश जारी है।
सत्यप्रकाश शर्मा के कनेक्शन
- गोविंद सिंह राजपूत के सहयोगी संजय श्रीवास्तव
- आरटीआई डीपी पटेल
- जगदीश वीके आईटीआई
- अन्य हवलदार / प्रधान आरक्षक
सत्य प्रकाश शर्मा को परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विश्वासपात्र संजय श्रीवास्तव का सहयोगी माना जाता है। वही संजय श्रीवास्तव द्वारा सत्य प्रकाश शर्मा को सहयोग प्रदान किया गया जिससे संजय श्रीवास्तव का कारोबार खूब फला फूला।
इससे पूर्व भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में शैलेंद्र सिंह श्रीवास्तव और ओएसडी सिंगर के करीब पहुंच गया था।
पत्नी ने की मानिसक प्रताड़ना की शिकायत
इधर पीए सत्यप्रकाश शर्मा की पत्नी सुषमा शर्मा ने इस मामले में शिकायतें की हैं। पीए की पत्नी ने पहले मानव अधिकार आयोग में शिकायत थी। उसके बाद आईजी को भी शिकायत की है। जिसमें उन्होंने उनके पति को झूठा फंसाने और मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप कुछ लोगांे पर लगाया है।
कुछ दिन पहले ग्वालियर के सिंधिया नगर में रहने वाले धर्मवीर सिंह कुशवाह के मोबाइल से स्पीड पोस्ट से भेजी गई डाक की ट्रैकिंग रिपोर्ट आने लगी। दरअसल स्पीड पोस्ट में यह व्यवस्था है कि जिस व्यक्ति के द्वारा डाक भेजी जाती है उसे लगातार उसकी अपडेट स्थिति पता चलती रहती है कि नाक अभी कहां पहुंची। जब धर्मवीर मामले की तह में गए तो पता चला कि उनके नाम से परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के खिलाफ 9 शिकायतें की गई है। यह सभी शिकायतें स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजी गई थी और सभी पोस्ट ग्वालियर रेलवे स्टेशन के एमबीसी काउंटर से की गई। पोस्ट ऑफिस में शिकायत करने पर सारी शिकायतें रिकॉल कर धर्मवीर कुशवाह के पास आई और तब पता चला कि किस तरह से उनके नाम से परिवहन मंत्री और आयुक्त की झूठी शिकायतें की गई है।
अहम सवाल….
सत्यप्रकाश ने पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुई जमकर हेराफरी की।
कई परिवहन आयोग भी सत्य प्रकाश शर्मा के इशारों पर अपनी कदम चलाते थे।
अगर इस मामले की निष्पक्ष और सही जांच सीबीआई द्वारा कराई जाए तो एक छोटे से बाबू के पास करोड़ों की संपत्ति निकलने की संभावनाएं।
पूर्व में रिस्पांसिबल इंडिया मैगजीन ने भी सत्य प्रकाश शर्मा के काले कारनामों को उजागर किया था।