लिंग चयन और अवैध प्रसव पूर्व जांच पर रोक लगाने के लिए बने पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत भोपाल में स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपनाया है।
नियमित निरीक्षण के दौरान गंभीर दस्तावेजी अनियमितताएं सामने आने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) भोपाल ने शहर के दो सोनोग्राफी केंद्रों की मान्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी।
सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि यह कार्रवाई न केवल कानून के उल्लंघन पर चेतावनी है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व जांच से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभाग का कहना है कि भविष्य में भी ऐसे केंद्रों पर निगरानी और सख्ती जारी रहेगी।
दो केंद्रों का पंजीयन निरस्त पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन पर जिन दो सोनोग्राफी केंद्रों की मान्यता निरस्त की गई है, उनमें सुल्तानिया रोड स्थित नर्वदा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर और मोतिया तालाब स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर शामिल हैं।
सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने निरीक्षण रिपोर्ट और जिला सलाहकार समिति की अनुशंसा के आधार पर दोनों केंद्रों के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए हैं। इसके बाद अब इन केंद्रों में किसी भी प्रकार की सोनोग्राफी जांच नहीं की जा सकेगी।
नर्वदा इमेजिंग सेंटर में मिलीं यह खामियां सीएमएचओ कार्यालय की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण में नर्वदा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर में कई गंभीर कमियां पाई गईं। यहां डॉ. नीतिश अरोड़ा को अनधिकृत रूप से ईको कार्डियोग्राफी करते हुए पाया गया।
इसके अलावा एएनसी रजिस्टर अधूरा भरा हुआ मिला। कई एफ-फॉर्म में रेफर करने वाले चिकित्सक का पता दर्ज नहीं था और सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर का नाम भी अंकित नहीं पाया गया। कुछ फॉर्म बिना चिकित्सक के हस्ताक्षर और सील के मिले, जो सीधे तौर पर एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है।
सेंट्रल हॉस्पिटल में दस्तावेजों की गड़बड़ी पकड़ी मोतिया तालाब स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में भी निरीक्षण के दौरान गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। एफ-फॉर्म पर केंद्र का पीसीपीएनडीटी पंजीयन क्रमांक सही नहीं पाया गया। कई मरीजों के मोबाइल नंबर दर्ज नहीं थे।
कुछ फॉर्म में मरीज का नाम, पति का नाम, बच्चों की संख्या, सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक का नाम, पंजीयन क्रमांक और जांच रिपोर्ट तक का उल्लेख नहीं किया गया था। यह लापरवाही एक्ट की मूल भावना के खिलाफ मानी गई।

जिला सलाहकार समिति का सर्वसम्मत फैसला इन सभी अनियमितताओं को गंभीर मानते हुए जिला सलाहकार समिति की बैठक बुलाई गई। समिति ने सर्वसम्मति से दोनों सोनोग्राफी केंद्रों का पंजीयन निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया।
इसके बाद सीएमएचओ द्वारा आदेश जारी कर मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि एक्ट के तहत निर्धारित मानकों का पालन न करने वाले केंद्रों पर इसी तरह की कार्रवाई आगे भी की जाएगी।
CMHO भोपाल डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत दस्तावेजों का सही और पूर्ण रखरखाव बेहद जरूरी है। यह कानून भ्रूण लिंग परीक्षण जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए बनाया गया है। विभाग समय-समय पर सोनोग्राफी केंद्रों का निरीक्षण करता रहेगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।




