कालेजों में भी सिर्फ ट्यूशन फीस का नियम लागू हो, जबलपुर हाई कोर्ट ने याचिका पर मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने जबलपुर के विधि छात्र की याचिका पर राज्य शासन उच्च शिक्षा विभाग, आयुक्त लोक शिक्षण, कलेक्टर जबलपुर व प्राचार्य एनईएस ला कालेज, जबलपुर का नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। याचिका के जरिये सवाल खड़ा किया गया है कि कोरोना काल में निजी विद्यालयों की भांति निजी महाविद्यालय भी सिर्फ ट्यूशन फीस क्यों नहीं ले रहे हैं। न्यायमूर्ति सुजय पाल व जस्टिस अरुण कुमार शर्मा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
कोरोना काल में निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस वसूलने स्वतंत्र किया था : याचिकाकर्ता एनईएस ला कालेज, जबलपुर के विधि छात्र सतीश प्रसाद विश्वकर्मा की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने पूर्व में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना काल में राज्य की निजी स्कूलों को महज ट्यूशन फीस वसूलने स्वतंत्र किया था। इस आदेश के परिपालन में मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों के लिए कोराेना काल में महज ट्यूशन फीस वसूल करने का आदेश जारी कर दिया। सवाल उठता है कि जब राज्य के निजी स्कूलों से सिर्फ ट्यूशन फीस वसूली सुनिश्चित कराई जा रही है, तो निजी महाविद्यालयों से क्यों नहीं। यह भेदभावपूर्व रवैया संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के विपरीत होने के कारण चुनौती के योग्य है। याचिकाकर्ता ने एनईएस ला कालेज में इस आशय का आवेदन दिया था। लेकिन कालेज ने उच्च शिक्षा विभाग का इस संबंध में कोई आदेश न होने का तर्क देकर मांग दरकिनार कर दी। इसीलिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।