दो महीने से नहीं मिला स्टायपेंड, जूनियर डाक्टरों में बढ़ रहा असंतोष
गांधी मेडिकल कालेज भोपाल समेत एमडी/एमएस और डिप्लोमा कोर्स संचालित करने वाले प्रदेश के सभी छह सरकारी मेडिकल कालेजों में जूनियर डाक्टरों को दिसंबर और जनवरी का स्टायपेंड नहीं मिला है। इस संबंध में जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और आयुक्त चिकित्सा शिक्षा निशांत वरवड़े को ज्ञापन दिया है। और देरी हुई तो जूनियर डाक्टर एक बार फिर आंदोलन की राह पर भी जा सकते हैं। हालांकि, ज्ञापन में जूडा ने आंदोलन का जिक्र नहीं किया है।जूडा भोपाल के अध्यक्ष डा. अमित टांडिया ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब स्टायपेंड मिलने में देरी हो रही है। हमेशा ही दो महीने बाद इसका भुगतान किया जा रहा है। नवंबर का स्टायपेंड जनवरी में मिला है। जूडा पदाधिकारियों ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने ज्ञापन लेते हुए कहा था कि बजट की कमी होने की वजह से स्टायपेंड मिलने में देरी हो रही है। इस दिक्कत को जल्द दूर कर लिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेज में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलता है। सभी जगह मिलाकर पांच हजार जूनियर डाक्टर काम कर रहे हैं। जूनियर डाक्टरों ने पिछले साल स्टायपेंड में बढ़ोतरी को लेकर कई दिन तक आंदोलन किया था। उस दौरान भी इसके देरी से मिलने की मांग उठाई थी।
कितना है स्टायपेंड (मासिक)
स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष– 65 हजार रुपयेस्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष– 67 हजार रुपयेस्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष– 69 हजार रुपयेसुपर स्पेशियलिटी (सभी वर्ष)– 69 हजार रुपयेसीनियर-रेसीडेंट- 76 हजार रुपयेजूनियर रेसीडेंट- 55 हजार रुपये