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इंदौर अपराध समाचार – नौलखा स्टैंड पर बस वालों में मारपीट, मां शारदा ट्रैवल्स के आफिस में तोड़फोड़

नौलखा बस स्टैंड पर शनिवार सुबह बस चालक-परिचालकों में जमकर विवाद हुआ। एक दूसरे के साथ मारपीट की और दफ्तर में तोड़फोड़ कर दी। पुलिस ने 10 लोगों के विरुद्ध केस दर्ज कर दो को गिरफ्तार कर लिया है। घटना सुबह करीब 8:30 बजे की है।

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सिद्धि विनायक ट्रैवल्स के चालक ने ओम शांति ट्रैवल्स के परिचालक की बाइक को टक्कर मार दी थी। दोनों जब विवाद करने लगे तो यादव ट्रैवल्स के मैनेजर पिंटू ने समझाया और अलग-अलग कर दिया। थोड़ी देर बाद सिद्धि विनायक बस वाले एकत्र होकर आए और पिंटू के साथ मारपीट कर दी। पिंटू ने भी साथियों को बुला लिया और सिद्धि विनायक ट्रैवल्स के सुपरवाइजर देवासिंह राठौर पर हमला कर दिया। लोहे की राड़, डंडे, हाकी लेकर आए पिंटू के साथियों ने जमकर उत्पात मचाया और मां शारदा ट्रैवल्स के आफिस में भी तोड़फोड़ कर दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दो लोगों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने देवा की शिकायत पर पिंटू गुप्ता, गोविंद, अनिल और देवेंद्र यादव सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। उधर देवेंद्र ने अफसरों को सीसीटीवी फुटेज सौंप कर कहा कि घटना के समय वह ग्रेटर ब्रजेश्वरी कालोनी में था। अनिल यादव भी कुक्षी में था। पुलिस ने भाजपा नेताओं के दबाव में झूठा केस दर्ज कर लिया।

प्यारे मियां मामले में इंदौर के दो डाक्टरों को हाई कोर्ट का नोटिस – प्यारे मियां दुष्कर्म मामले में 14 वर्षीय किशोरी के गर्भपरीक्षण के लिए उसकी सोनोग्राफी करने वाले इंदौर के दो डाक्टर दलजीत सिंह छाबड़ा और डा. सोनल श्राफ को मप्र हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। डा. श्राफ ने 14 वर्षीय पीड़ित किशोरी की स्वजन की अनुपस्थिति में जांच की और उसकी सोनोग्राफी के लिए पर्चा बनाया था। इसी तरह डा. छाबड़ा ने नाबालिग पीड़ित किशोरी के स्वजन की अनुमति के बगैर पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए सोनोग्राफी की। पुलिस ने दोनों डाक्टरों को आरोपित नहीं बनाया था। इसी मामले में आरोपित एक महिला के वकील यावर खान ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी कि दोनों डाक्टरों को पीएनडीटी एक्ट और पाक्सो के तहत आरोपित बनाया जाए। इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दोनों डाक्टरों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने दोनों डाक्टरों से पूछा है कि क्यों न उन्हें आरोपित बनाया जाए। दोनों डाक्टरों के भोपाल न्यायालय में बयान हुए थे। इसमें दोनों ने स्वीकारा था कि किशोरी के स्वजन की अनुपस्थिति में सोनोग्राफी का पर्चा बनाया गया था और बगैर स्वजन की अनुमति के सोनोग्राफी की गई थी।

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