इंदौर में वनस्टॉप सेंटर ने मिलाया आठ साल से अलग हुए पति पत्नी को
प्रेम विवाह के बाद पति पत्नी आठ साल से अलग रह रहे थे। पत्नी का आरोप था कि पति काम नहीं करता और नशे का आदि है। पत्नी ने इसी आधार पर अपने और दो बच्चों के लिए भरण पोषण की मांग की थी। हालांकि वन स्टाप सेंटर के प्रयासों से एक परिवार टूटने से बच गया और फिर से एक आपसी सामंजस्य स्थापित किया।
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार ने बताया कि आवेदिका प्रीति (परिवर्तित नाम) पति श्याम ने वन स्टॉप सेंटर पर पति से भरण पोषण दिलाने की गुहार लगाई थी। प्रीति पिछले आठ सालों से अपने मायके में रह रही थी और उसके दो बच्चे भी उसी के साथ थे। प्रीति और श्याम का प्रेम विवाह हुआ था और श्याम भोपाल में निवासरत था। प्रीति की शिकायत थी की पति काम धंधा नहीं करता था और सास भी ताने देती थी। उसके और बच्चों का खर्च उठाने के लिए कोई सहारा नहीं था। उसने बताया कि पति नशा करता हैं और वह उसे लेकर भी नहीं जा रहा। वह बच्चों के साथ कब तक बूढ़ी मां पर बोझ डालती रहेगी। पति और ससुराल वालों के तानों के कारण वह फिर वहां नहीं लौटना चाहती थी, इसलिए उसने भरण पोषण की मांग की थी।
इसके बाद पति श्याम को भोपाल से बुलवाया गया, तब उसने कहा कि वह कई बार पत्नी को लेने आया लेकिन सास उसे भगा देती है। अगर पत्नी मेरे साथ रहना चाहे तो वह ले जाने को तैयार हैं, लेकिन वह अपने बूढ़े मां-बाप से अलग नहीं रहेगा।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद पति और पत्नी की काउंसिलिंग करने का निर्णय लिया गया। दोनों की अलग-अलग और संयुक्त परामर्श सत्र लिए गए। प्रीति की सारी समस्याओं की जड़ पति श्याम का ठीक से काम न करना और आर्थिक समस्या के चलते छोटी-छोटी बातों पर विवाद की स्थिति बनती थी। साथ ही प्रीति की कम उम्र की वजह से वह ससुराल में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाई और जिद में ससुराल नहीं जाना चाह रही थी। वह चाहती थी की पति मां-बाप से अलग रहे जिसके लिए पति बिल्कुल भी तैयार नहीं था।
वहीं पति ने बताया की वह अब शराब नहीं पीता, काम पर भी जाता हूं, पत्नी को बताया पर भरोसा ही नहीं करती। तब श्याम की पत्नी के सामने भोपाल में निवासरत श्याम के सुपरवाइजर से बात की गई, जिसमें उसने बताया की श्याम विगत डेढ साल से नगर निगम में कार्यरत है, समय पर आता है, मेहनत से काम करता है, हमारे सामने तो कभी शराब पीकर नहीं आया। श्याम ने बताया कि मां-बाप की देखभाल करना है , मुझे मेरी गलतियां समझ आ गई। उसने बताया कि इस दौरान वह पत्नी को बच्चों के खर्च के लिए कई बार पैसे भी दे चुका है।
परामर्श के बाद प्रीति पति के साथ जाने को राजी हुई , यह तय हुआ की सास ससुर के खाने पीने की सारी जिम्मेदारी प्रीति उठाएगी लेकिन सास प्रीति को स्वतंत्रता से उसकी जिम्मेदारी सम्हालने देगी और ताने देना या अपशब्द कहना ये व्यवहार नहीं करेगी। श्याम का वेतन, काम और जिम्मेदारी ज्यादा होने से उसे सलाह दी गई कि प्रीति चाहे तो उसे भी जॉब करने दिया जाय। प्रीति ने खुशी जताई और हाथों हाथ श्याम ने प्रीति के जॉब की बात करके आश्वस्त किया की घर जाते ही ये अगले माह से कम पर जा सकती है। साथ ही दोनों के आपसी सामंजस्य पर भी चर्चा की गई ताकि भविष्य में रिश्ता सुदृढ़ हो। इस तरह आठ वर्षों से अलग रह रहे पति पत्नी को वन स्टॉप सेंटर इंदौर ने एक कर दिया ।