राजधानी में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होने वाले विवाह को लेकर नया मामला सामने आया है। एडीएम कोर्ट में इस तरह की शादियाें में नगर निगम से विवाह पंजीयन का नंबर मांगा जा रहा है। जबकि अब तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके चलते आम जनता को दोहरी मार पड़ रही है। पहले तो उन्हें एडीएम कोर्ट में विवाह पंजीयन करना होता है। वहीं नगर निगम भी पंजीयन शुल्क भरना पड़ता है। इसके बाद एडीएम कोर्ट में सुनवाई कर शादी कराई जाती हैं। ऐसा करने से आम लोगों को एक शादी का दो जगह रजिस्ट्रेशन कराना पड़ रहा है। इसमें वह लोग भी शामिल हैं जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है।
राजधानी में एडीएम दफ्तर में स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में रजिस्ट्रेशन किए जाते हैं। जिसके लिए रोजाना दो से पांच आवेदन एडीएम दफ्तर में आ रहे हैं। हाल ही में हिंदू मैरिज एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों से नगर निगम के रजिस्ट्रार दफ्तर का रजिस्ट्रेशन भी मांगा जा रहा है। जिसकी वजह से यहां लोगों को 11 सौ रुपए फीस देकर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ रहा है। इसके पहले यह फीस 130 रुपए थी। हाल ही में एडीएम दफ्तर में आ रहे आवेदकों से नगर निगम का रजिस्ट्रेशन मांगने के बाद इन लोगों ने नगर निगम में रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।
अंतरजातीय विवाह वाले जोड़ों की बढ़ी परेशानी
ऐसे जोड़े जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है। उन्हें एक साल के अंदर मिलने वाली दो लाख रुपए की सरकारी सहायता के लिए आवेदन करना पड़ता है। यह आवेदन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के दफ्तर में किया जाता है। जिसमें एक साल के अंदर शादी होना अनिवार्य होता है। अगर किसी की शादी को एक साल से अधिक समय गुजर गया है, तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। नगर निगम में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में भी समय लग रहा है, जिसकी वजह से इन लोगों के लिए दिक्कत बढ़ गई है।
वर्जन
अंतरजातीय विवाह वाले ही अधिकतर हिंदू मैरिज एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराते हैं। नगर निगम में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही आवेदन लिए जा रहे हैं।