डिंडौरी जिले की दो हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड
आदिवासी बहुल जिले डिंडौरी के दो आदिवासी कलाकारों को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा मंगलवार की शाम पद्मश्री अवार्ड के नामों की घोषणा की गई, जिसमें डिंडौरी जिले की दो हस्तियां शामिल हैं। जिले के बैगाचक क्षेत्र धुरकुटा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक अर्जुन सिंह धुर्वे को पद्मश्री के लिए चुना गया है। सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग डा. संतोष शुक्ला ने बताया कि अर्जुन सिंह बैगा जनजाति की पहले पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक रहे। उनके द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अन्य अतिथियों के कार्यक्रमों में बैगा नृत्य की अपनी टीम के साथ आकर्षक प्रस्तुति दी थी। अर्जुन सिंह समाजशास्त्र से एमए के साथ बीएड की शिक्षा प्राप्त की। 12 अगस्त 1953 को जन्मे अर्जुन सिंह के पिता का नाम परसा सिंह धुर्वे और माता का नाम लहरो बाई धुर्वे है। उनकी पत्नी का नाम लमिया बाई धुर्वे है।
1976 से शिक्षक पद में पदस्थ : अर्जुन सिंह 19 नवंबर 1976 में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हुए। 1994 में उच्च श्रेणी शिक्षक और वर्ष 2008 में प्रधान पाठक पद पर पदोन्नत हुए। 31 अगस्त 2015 को अर्जुन सिंह सेवानिवृत्त हो गए। वर्ष 1993-94 में उन्हें जनजातीय संपदा के कलात्मक संवर्धन विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा तुलसी सम्मान से विभूषित किया गया। बैगा प्रधानी नृत्य की प्रस्तुति जो कि बैगा जनजाति का मुख्य नृत्य है, जिसमें बैल, मोर, हाथी, घोड़ा इत्यादि के मुखौटे में राज्य व राज्य के बाहर इन्होंने प्रस्तुति दी थी। इस कला को देश भर में सराहा गया था।
कई जगह दे चुके प्रस्तुति : अर्जुन सिंह वर्ष 2005 में नईदिल्ली, इंडिया गेट परेड में बैगा प्रधानी नृत्य के साथ राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के निवास में भी कार्यक्रम की प्रस्तुति दे चुके हैं। उज्जैन सिंहस्थ में लोक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में भी अपनी कला की प्रस्तुति दे चुके हैं। गोंडी पेंटिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली दुर्गा बाई बयाम को पद्मश्री मिलेगा। यद्यपि वे लंबे समय से भोपाल में रह रही हैं। मूलत: डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत पाटनगढ़ निवासी दुर्गाबाई गोंडी पेंटिंग को लेकर लंबे समय से कार्य कर रही हैं।