दम तोड़ रही पीतल-कांसे के बर्तन खरीदने की परंपरा
शादी-विवाह में पीतल-कांसे के बर्तन देने की परंपरा दम तोड़ रही है। इसके साथ ही इन बर्तनों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है। अब सस्ती कीमतों वाली सामग्री जैसे स्टील, ऐलोमोनिया से बने बर्तन उपयोग किए जाने लगे हैं। जिसके कारण कांसा व पीतल के बर्तनों में टूट-फूट का सुधार करने वाले कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं। किसी समय क्षेत्र को पीतल-कांसे के बर्तनों की पूर्ति करने वाले वर्तमान में अब सिर्फ तीन कारीगर बचे हैं। इन पर भी महंगाई की मार और अन्य किसी भी योजनाओं का लाभ मिलने से काम बंद होने की कगार पर है। पहले शादियों के समय इन बर्तनों की बहुत मांग हुआ करती थी। अब वह भी कम हो चली है। क्योंकि स्टील सहित अन्य सस्ती धातुओं के बर्तनों ने इसका स्थान ले लिया है। बर्तन व्यवसायी सुरेश ताम्रकार बताते हैं कि परंपरा का निर्वाह करने के लिए ही अब लोग एकाध कांसे का बर्तन खरीदते हैं थोड़ा कुछ पीतल के बर्तन भी खरीदे जाते हैं। उनमें टूट-फूट होने पर एक ही मिस्त्री नगर में बचा है वो भी अब बर्तन मरम्मत का कम काम करते हैं। अधिकतर लोग अब पीतल वेल्डिंग से काम चला लेते हैं। वर्तमान में पीतल लगभग 70 हजार रुपये क्विंटल मिलता है। इस व्यवसाय से जुड़े रजनीश ताम्रकार का कहना है कि हम तो सिर्फ कारीगर हैं। लागत ज्यादा होने से काम बंद होने लगा है। स्टील के बर्तनों ने इस धंधे को तोड़ दिया है। अगर सरकारी सुविधा मिले तो काम बढ़ सकता है। मजबूरी है इसलिए करना पड़ता है। हम पुराने बर्तन ठीक करते हैं और नए बर्तन भी विक्रय करते हैं। शादी की रस्म अदायगी के लिए कांसे एवं पीतल के बेलन-थाली की पहले बहुत मांग हुआ करती थी। अब कम हो गई है। दीपू ताम्रकार बताते हैं कि कांसा अब 1500 रुपये किलो हो गया। अब कांसे का बाजार भी नहीं बचा है।
– स्वास्थ्य के लिए लाभकारी-
आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा परामर्श दिए जाने पर ही कुछ लोग तांबा और कांसे के बर्तन उपयोग के लिए लेते हैं। तांबा व कांसे बर्तन में पानी भरकर पीने से पाचन तंत्र ठीक रहता है।
संगीतमय भागवत कथा आज से
सुल्तानपुर। नगर में रविवार से संगीतमय भागवत कथा का भव्य आयोजन होगा। 20 से 26 फरवरी तक भागवत कथा व्यास पंडित कमल किशोर उपाध्याय बृज धाम नंदगांव वृंदावन कथा करेंगे। श्री राधा कृष्ण मंदिर रायसेन रोड पर कथा आयोजित होगी। सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा हेतु कलश यात्रा श्री राम जानकी मंदिर से प्रारंभ होकर कथा स्थल पर पहुंचेगी। कार्यक्रम के आयोजक समाजसेवी सुरेश श्रीवास्तव एडवोकेट, डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने धर्म प्रेमी बंधुओं से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में श्रीमद् भागवत कथा का लाभ उठाएं।
22 फरवरी से 15 अप्रैल तक नहीं हैं शादी-विवाह के मुहूर्त
सांचेत। मकर संक्रान्ति के बाद शुरू हुए मांगलिक कार्यों पर अब जल्द ही कुछ समय के लिए रोक लगने वाली है। अब फरवरी में शादी के लिए सिर्फ तीन शुभ मुहूर्त बचे हैं जो और 20 और 21 फरवरी तक हैं। इसके बाद करीब डेढ़ माह के लिए विवाह और गृहप्रवेश, मुंडन नामकरण सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। क्योंकि 24 फरवरी से गुरु अस्त हो जाएंगे। देवगुरु बृहस्पति को शादी समेत किसी भी मांगलिक कार्य का कारक माना जाता है। इन कार्यों को संपन्ना कराने के लिए बृहस्पति का उदय होना बहुत जरूरी है। इसके बाद 15 अप्रैल के बाद ही शुभ कार्यों की दोबारा शुरूआत होगी। पं. अरुण कुमार शास्त्री ने बताया कि 15 अप्रैल तक सभी शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। सिर्फ 4 मार्च को फुलेरा दूज होने की वजह से उस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है।