जन-गण-मन, 52 सेकेंड का गान, जिससे करोड़ों धड़कनें गति पाती हैं। क्या आपको पता है, हम जो राष्ट्रगान गाते हैं, वह पूरे गीत का सिर्फ एक पद है?दरअसल, यह गीत पांच पदों से पूरा होता है। इन पांच पदों को अंबुजा नेवतिया ग्रुप ने एक धुन में पिरोया है और वो भी देश की 75 सुरीली आवाजों के जरिए। रविंद्रनाथ टैगोर की रची इस जयध्वनि को 75 आर्टिस्ट ने एक साथ गया है।गीत को इस तरह तैयार करने का आइडिया कैसे आया और ये कोशिश कैसे कामयाब हुई, इस पर अंबुजा नेवतिया ग्रुप के चेयरमैन हर्षवर्धन से बात की। उन्होंने बताया कि ‘हम लोगों ने कुछ साल पहले भी ‘जय हे’ पर काम किया था। उस वक्त गुरुदेव की 150वीं जयंती थी। इस बार आजादी की 75वीं सालगिरह है। तो सोचा कि गुरुदेव के लिखे पूरे गीत के लिए 75 आर्टिस्ट को साथ लाएं। पर चिंता थी कि क्या इतने कलाकार साथ गाने को राजी होंगे। ये ईश्वर की कृपा और देशभक्ति ही है कि जिनसे भी बात की, उनमें से ज्यादातर मान गए।




