नहीं रहे भोपाल के युवा शायर अभय शुक्ला
शेरो-शायरी और कविता की दुनिया में गूंजती एक युवा फनकार की आवाज आज हमेशा के लिए खामोश हो गई। भोपाल का एक उभरता शायर हमेशा के लिए खामोश हो गया। हम बात कर रहे हैं भोपाल के 22 साल के अभय शुक्ला की।
नामी शायरों की संगत में उसका फन निखर ही रहा था कि 6 मई को एक हादसे ने उसकी दुनिया को तहस-नहस कर दिया। आज सुबह उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 5 मई को अभय ने अपना जन्मदिन मनाया था। अगली सुबह 6 मई को अपने घर नेहरू नगर से पीएंडटी चौराहा जाते हुए उसकी बाइक ऐसी फिसली की हेलमेट के बावजूद बस से सिर टकराया और उनके सिर में गंभीर चोट आई थी।
कमरे में दोस्तों को शायरी सुनाते अभय।
अब पढ़िए अभय की एक रचना
मैं जैसा हूं मुझे रहने दो, मुझ को ये होने में जमाने लग गए हैं कई बचपन गरीबी खा चुकी है कई बच्चे कमाने लग गए हैं… जनाजे देख के औरों के घर के, मुझे कुछ डर सताने लग गए हैं…। (सेंट पीटर्सबर्ग, अमेरिका से प्रकाशित द्वैभाषिक पत्रिका सेतु में प्रकाशित अभय की गजल के अंश)
रीवा के रहने वाले थे, यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे
पुलिस के मुताबिक अभय शुक्ला मूल रूप से रीवा का रहने वाला था। फिलहाल वह भोपाल के नेहरू नगर में रह रहा था। एक प्राइवेट संस्थान से यूपीएएसपी की तैयारी कर रहा था। पिछले साल उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी ग्रेजुएशन किया था। 6 मई की सुबह दोस्त के साथ बाइक से घर जा रहा था। तभी पी एन्ड टी चौराहा पर बाइक चला रहा दोस्त गाड़ी से नियंत्रण खो बैठा। बाइक स्लिप होने के बाद सड़क किनारे खड़ी बस से टकरा गई। हादसे में अभय के सिर में गंभीर चोट आई थी। करीब महीने चले इलाज के बाद सोमवार की तड़के सुबह उनकी मौत हो गई।
एक प्रोग्राम में अवॉर्ड प्राप्त करते हुए अभय।
डीयू के टॉपर थे अभय
पुलिस के मुताबिक अभय मूल रूप से रीवा के रहने वाले थे। यहां UPSC की तैयारी कर रहे थे। पिछले साल ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था। 6 मई की सुबह दोस्त के साथ बाइक से जा रहे थे तभी हादसा हो गया। महीने भर चले इलाज के बाद सोमवार की तड़के सुबह उनकी मौत हो गई।
विदेशी मैगजीन में छपी कविताएं
अभय के कॉलेज में सीनियर रहे निशांत ने बताया कि वह अपने बैच का गोल्ड मेडलिस्ट थे। अभय अपने माता-पिता की इकलौते बेटे थे। पिता की दुकान है। भोपाल से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उसकी लिखी कविताएं विदेशों की मैगजीन तक में छपी हैं। भोपाल में उसकी पहचान शायर के रूप में बन चुकी थी।
बेहतरीन शायरी के लिए मिले कई अवॉर्ड
- अभय को 20 वर्ष की उम्र में ही मप्र उर्दू अकादमी द्वारा ‘तलाश ए जौहर’ से नवाजा गया।
- मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें गजल लेखन के लिए ‘पुनर्नवा पुरुस्कार’ प्रदान किया।
- कला संस्थान छतनारा की कोर टीम के सबसे युवा सदस्य हैं। अभय की परिकल्पना पर ही छतनारा संस्था ने ‘जश्न-ए-बशीर’ का आयोजन किया था।
- उनकी ग़ज़लें अमेरिका और यूरोप की पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
- विश्वरंग इंटरनेशनल फेस्टिवल के ग्रांड मुशायरे की शुरुआत की थी
- अभय अपने मंच संचालन के लिए भी जाने जाते थे। विश्वरंग इंटरनेशनल फेस्टिवल के ग्रांड मुशायरे की शुरुआत भी की थी।
- पोएट्स वॉक के होस्ट के तौर पर भी इन्हें शहर के युवा कलाकार बखूबी पहचानते हैं।