तलाक होने के छह साल बाद फिर साथ रहने को तैयार हुआ पति क्योंकि पत्नी को देने के लिए उसके पास नहीं थे 20 लाख
2011 से अलग रह रहे पति-पत्नी अब एक बार फिर साथ रहेंगे। 12 दिसंबर 2018 को कुटुंब न्यायालय ग्वालियर ने पति के आवेदन को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री प्रदान की थी। इस आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने जब देखा कि दोनों में फिर से एक साथ रहने की कोई गुंजाइश नहीं है, तो पति को 20 लाख रुपए देने का आदेश िदया।
हालांकि, कई दिन बीतने के बाद भी जब पति ने पैसे नहीं दिए तो मामला फिर से हाई कोर्ट के समक्ष पहुंचा। डिवीजन बेंच ने पति से पूछा कि उसने अब तक पैसे क्यों नहीं दिए। पति ने कहा कि उसके पास देने के लिए केवल पांच लाख रुपए हैं। इस पर पत्नी के वकील ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इतनी राशि तो भरण पोषण की ही देना बाकी है। जिसे पति ने अभी तक नहीं दिया।
मामला उलझता देख कोर्ट ने पति से पूछा कि क्या वह पत्नी को साथ रखना चाहता है, तो उसने हामी भर दी। ऑनलाइन सुनवाई से जुड़ी पत्नी ने भी साथ रहने की सहमति दी। अब दोनों को केस की अगली तारीख पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। यहां से दोनों को साथ-साथ भेजा जाएगा।
दरअसल, ग्वालियर निवासी युवक का विवाह लगभग 16 साल पूर्व इंदौर निवासी युवती के साथ हुआ था। दोनों के वर्तमान में 15 साल की एक बेटी है। 2011 से पति और पत्नी अलग रह रहे हैं। बाद में पति ने तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में केस लगाया। जिस पर तलाक की डिक्री हुई।
हालांकि, पत्नी रिश्ते को बचाना चाहती थी, इसलिए उसने तलाक के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। इस दौरान कोर्ट ने कई बार पति से पूछा कि क्या दोनों के बीच रिश्ते को बचाने की कोई गुंजाइश है। हर बार पति ने दो टूक जवाब देते हुए साथ रहने से इनकार किया और तलाक पर जोर दिया। इस बार जब कोर्ट ने 20 लाख की राशि में कटौती करने से इनकार किया तो पति ने सुर बदल लिए। और पत्नी को साथ ले जाने की हामी दी। यहां बता दें कि पति प्राइवेट जाॅब करता है।