बुलडोजर चलाने का फैसला रिकाॅर्ड में रखेगी एमपी सरकार
मकानों पर बुलडोजर चलाने और पंचायत व नगरीय निकायों में ओबीसी आरक्षण समेत अन्य सभी फैसले रिकॉर्ड में रखे जाएंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने तय किया है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ऐसे प्रकरणों, जिनमें एमपी सरकार पार्टी रही है और कोर्ट ने उसमें फैसला दे दिया है, उन सभी फैसलों के रिकॉर्ड राज्य सरकार पांच साल तक सुरक्षित रखेगी। यह काम हर विभाग में नोडल अधिकारी करेंगे। इस फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में पदस्थ अतिरिक्त महाधिवक्ता से फैसलों के रिकाॅर्ड मांगे जाएंगे।
महाधिवक्ता को लिखा पत्र
विधि और विधायी कार्य विभाग के सचिव ने इसको लेकर महाधिवक्ता को पत्र लिखा है। इसमें महाधिवक्ता जबलपुर से कहा है कि अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय नई दिल्ली में पदस्थ विधि पदाधिकारी को उन मामलों के रिकाॅर्ड देने के लिए कहा जाए। ऐसे मामले जिनका निराकरण सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है।
उनके सभी रिकॉर्ड राज्य सरकार के उन विभागों को सौंपे जाना है जिस विभाग से संबंधित केस कोर्ट में चल रहा था। इन रिकाॅर्ड्स का मेंटनेंस नोडल अधिकारी और प्रकरण के लिए नियुक्त किए गए प्रभारी अधिकारी करेंगे।
इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि पांच साल तक कोर्ट के फैसले से संबंधित सारे रिकॉर्ड सुरक्षित रखे जाएं। ऐसे रिकाॅर्ड्स की सूची भी तैयार करने के लिए कहा है।
सभी एसीएस, पीएस नियुक्त करें नोडल अधिकारी
अतिरिक्त सचिव विधि और विधायी कार्य विभाग ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को निर्देश जारी कर कहा है…
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे और निराकृत मामलों के संबंध में तत्काल नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें। उन्हें निर्देशित करें कि जिन मामलों के निराकरण की अवधि 5 साल से अधिक हो गई है, उन सभी प्रकरणों से संबंधित रिकॉर्ड महाधिवक्ता कार्यालय नई दिल्ली से लेकर उसे सुरक्षित रखवाएंं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद करने पड़े थे चुनाव
हाल ही में आरोपियों के मकान बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करने के मामले में एमपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में पार्टी रही है। इसी तरह तीन साल पहले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट का चर्चित फैसला आया था। इसके बाद सरकार को आनन फानन चुनाव कराना पड़े थे।