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भोपाल कलेक्टर ने आधी रात लगाई अफसरों की क्लास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 28 अक्टूबर को सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों की समीक्षा करेंगे। भोपाल में भी हजारों शिकायतें पेंडिंग है। ऐसे में अफसरों की नींद उड़ी हुई है। इसके चलते कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आधी रात अधिकारियों की क्लास लगाई और उनसे वन-टू-वन चर्चा की। मंगलवार को भी मीटिंग होगी।

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संभवत: यह पहला मौका है, जब भोपाल कलेक्टर सिंह ने सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में सबसे ज्यादा खराब परफॉर्मेंस देने वाले डेढ़ दर्जन से ज्यादा विभागों के अधिकारियों की देर रात मीटिंग की। सोमवार-मंगलवार की रात 12.30 से रात 12.45 तक ऑनलाइन बैठक में जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह भी शामिल हुए।

हर रोज हो रही बैठक

इससे पहले सोमवार शाम को टीएल बैठक में कलेक्टर ने इन अधिकारियों को फटकार लगाकर देर रात तक दफ्तर में बैठकर काम करने के लिए कहा था। यह भी कहा था कि वे आधी रात को ऑनलाइन जुड़ कर शिकायतों के निराकरण का रिजल्ट पूछेंगे। इसके बाद ये अधिकारी देर रात तक अपने दफ्तरों में बैठकर शिकायतों को बंद कराने में जुटे रहे। बैठक में यह बात सामने आई कि सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण में भोपाल 26वीं रैंकिंग पर है। राजस्व, मत्स्य, पशुपालन, सहकारिता, सामाजिक न्याय सहित अन्य डेढ़ दर्जन विभाग डी रैंकिंग में शामिल हैं। कलेक्टर की फटकार और नाराजगी के बाद करीब 600 शिकायतें एक ही दिन में निपटा दी गई।

100 दिन पुरानी शिकायतों पर ज्यादा जोर भोपाल में 100 दिन पुरानी शिकायतों को निपटाने पर ज्यादा जोर है। कलेक्टर सिंह ने भी स्पष्ट कहा है कि ऐसी शिकायतों को अनावश्यक रूप से पेंडिंग न रखें। 50 दिन पुरानी शिकायतें भी निपटाई जा रही हैं।

3 दिन में आधी शिकायतों के निराकरण का टारगेट अगले 3 दिन में आधी शिकायतों के निराकरण का टारगेट रखा गया है। ताकि, सीएम के सामने पेंडिंग शिकायतों के प्रेजेंटेशन में भोपाल की स्थिति बेहतर रहे।

ये शिकायतें सबसे ज्यादा

नगर निगम की ज्यादातर शिकायतें स्ट्रीट डॉग, अतिक्रमण, सीवेज, आवारा पशु, स्ट्रीट लाइट, बिल्डिंग परमिशन, सफाई से जुड़ी है। हर सप्ताह महापौर मालती राय समीक्षा जरूर करती हैं, लेकिन नई शिकायतों से आंकड़ा बढ़ा हुआ रहता है। राजस्व विभाग की नामांकन, सीमांकन, बंटाकन समेत जमीन से जुड़े मसलों को लेकर शिकायतें हैं।

इसलिए भी आंकड़ा बढ़ा भोपाल में हर मंगलवार को जनसुनवाई होती है। जिसमें औसत 100 आवेदन आते हैं। इन शिकायतों को भी सीएम हेल्पलाइन में दर्ज किया जाता है। इसलिए आंकड़ा बढ़ा हुआ है।

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